फोर पि ऍफ की हम लोग बात कर रहे थे ना की जो चार बजे की छोटी भूख का क्या करना है ।
चार बजे की जब छोटी भूख लगती है तो मुंबई पता है क्या करता है मुंबई जाके अपना पेट्रोल ले के आता है और मुंबई का पेट्रोल है वडापाव सिंपल सीधी साधी रेसिपी यूँ कह लीजिए दी ऑरिजिनल इंडियन बर्गर बडा पाव बनाए ॅ तो उन्नीस सौ छियासठ नाइनटीन सिक्सटी सिक्स में ।
अशोक वैद्या जी ने दादा स्टेशन के बाहर जब अपनी दुकान खोली तो देखा कि भाई लोग जो है वो बडी जल्दी में आते हैं या तो नहीं घर जाने की जल्दी होती है या उन को काम पे आने की जल्दी होती है ।
ट्रेन से उतरते हैं और भागते हैं या भागते हुए ट्रेन पर चढ जाते हैं तो उन्होंने कहा भाई इतनी जल्दी में लोगों को ऐसा खाना खिलाना जिसे खाने में झंझट हाँ वो तो वो तो चलेगा नहीं तो उन्होंने एक डिश की इजाद करी जोकि एक क्विक स्माॅल था ।
आते जाते कोई भी अपने हाथ में लेके और या तो काम पे जा सकता था घर जा सकता था और डिश का नाम था वडा पाव नाइनटीन सिक्सटी सिक्स हाँ , मुँह वडापाव वाॅटर अशोक वैद्य वडापाव की जो जानना वो है बटाटा वडा बटाटा यानी आलू ।
देखिए मेरे को भी बॉम्बे में ना सात साल ही हुए है इसके लिए पर नाम सेशन , वर्णन सेशन मेरा गलत है बता दीजिये नीचे काॅल्स हैं बढाते को बताते बोलते हैं बटाटा जो शब्द है वो आता है बटाटा ऍम पटाखा मतलब पटेटो बडी लम्बी कहानी है वो सुना देगा बटाटा हिंदुस्तान में कैसे आया और ये बटाटा है किसका ये भी बता देगा ।
तनवीर तो बटाटा वडा के लिए तेल , तेल के अंदर राई , हींग , करी पत्ता और हरी मिर्च और लहसुन का पेस्ट ।
हल्दी तो बस हल्दी की जो है ना ही एक निकालनी है ।
मतलब हल्दी को पकाना है कि कच्चापन निकल जाए उसका ।
बस अब गैस बंद कर दिया फॅस बंद करके ये आलू साथ में कर लिया सिंपल ऍम कोई ऐसा हाँ किट साइंस नहीं मुश्किल काम तो वैसे भी करते नहीं ।
डन तो इसको ज्यादा गर्म नहीं करना है वो बस मैंने पॅन में इसलिए डाला था कि भाई तडका जो है वो बराबर से पकड ले ।
बस कुछ लोग क्या करते हैं ना हल्की सी शक्कर डाल देते हैं ।
अगर आप चाहे तो डाल सकते हैं नॉर्मली क्या ना वो कई बार वो मीठे आलू होते हैं या मिक्स होते है ।
पहाडी और मीठे आलू तो लोगों को हल्की सी मिठास अच्छी लगती है तो थोडी सी शक्कर अगर डालना है तो डाल दीजिए अगर आपके आलू अच्छे तो कुछ डालने की जरूरत नहीं ऍम करी पत्ते का , भुने हुए गार्लिक का , हल्की सी भुनी हुई मिर्च का और लास्ट में धनिया बट सिर ।
इसलिए यार मैं कभी कभी सोचता हूँ ना कि जिस इंसान ने मतलब सोचा दादर स्टेशन के बाहर इतना पहले की मुझे कुछ ऐसा बनाना है क्या जीनियस रहा होगा ना मतलब क्या विश इन्हें लोगों को लगता है कि बॉम्बे को लोकल ट्रेन चलाते हैं ।
बॉम्बे में रहने वाले को पता है कि भई बॉम्बे को जाना वडा पाव चलता है ।
मतलब मुंबई की स्पीड के साथ अगर आप खाना नहीं चलेगा ना तो आप खाना मुंबई में नहीं चलेगा और वडा पाव जो है वो मुंबई की वो स्पीड सेट करता है ।
देखिए अगर वडा पाव को समझा जाए ना तो हिंदुस्तान का नहीं है ।
वडा पाव पाव जो है वो मुँह बॉम्बे को दिया ।
बॉम्बे भले ही ब्रिटिश के पास चला गया लेकिन उसने वो पाव रख लिया ।
उसके बाद आलू जो है वो पहुँच दिए और हमने वो भी रख लिया ।
तो कुल मिलाके अगर आलू पॉर्चेड लाए और पाव मुँह लाए और वडा पाव मुंबई का हो गया ।
तो आप ये सोचिए की मुंबई कितनी ग्लोबल सिटी है ।
ये सोच लीजिए कि वडा पाव हमारा है या नहीं या इटिआॅस बेसन वडा पाव में कुल मिला के यही तो है वही है , पाव है और चटनी इस के सिवाय कुछ नहीं तो बटाटा वडा उसकी तैयारी हो गई ।
अब उसका बेटर रह गया बेसन , हल्की सी मिर्च , मिर्च सिर्फ बेसन के रंग को निखारने की नमक और पानी बहुत सारे लोग सोडा डालते हैं ।
सोडा डालना चाहें डाल सकते है बेकिंग सोडा उससे एक फ्ल फिनिस आएगी मैं थोडा इसलिए नहीं डालता मुँह थोडे से ना वो हल्दी का रंग होता है ।
अगर आप सोडा डालेंगे तो जो हल्दी है ना वो लाल सी पड जाएगी और आपका जो बडा है वो तलने के बाद पीला होने के बजाय लाल हो जाएगा ।
तो कई बडा पाव दुकानों पे देखा ना बडे जो है वो रिनजिन ब्राउनिश होते हैं ।
वो इसलिए होते हैं लेकिन कई दुकान वाले स्मार्ट होते हैं ।
वो क्या करते हैं वो डालते है हल्दी और उसमें पानी की बजाय पीने वाला थोडा डाल देते हैं ।
ब्रिंगिंग थोडा उससे क्या है वो फिनिस भी आ जाती है और रंग भी नहीं होता ऍम ओनली मुंबई मुंबई में हर चीज का इलाज ढूंढ लिया जाता है ।
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मैं जब भी बनाता हूँ बट आप चाहे तो इसके अंदर नारियल तिल ये तमाम चीजे भी डालते हैं ।
नमक बहुत जरूरी है कभी भी कोई भी मसाला पी , सोना नमक डाल दो अच्छे से जैसे जैसे पडी रहेगी ना तो ये एक्स्ट्र मॉइस्चर लूस करेंगे तो अपने आप सुख जाएगी ।
बडे भी तैयार लग रहे हैं ।
ब्लॅक भी तैयार लग रहा है तो वाॅटर में लपेट के तेल के दर्शन करा देते हैं ।
क्या बोलते हैं बहुत सारे लोगों को ना बेसन पसंद है बहुत सारा के ऊपर मुझे नहीं पसंद है ।
मैं कोशिश करता हूँ कि जितनी तिन से तिन कोटिंग रहे बेसन की उतना अच्छा है ।
आजकल वो बडे बडे एनर्जी ड्रिंक्स आते हैं ना वैसे ऍर जाती है और तमाम तरह की चीजें आती है ।
असली ऍम यू नो आलू ऑल कुंवरजी ।
उसमें भी काॅल यानी की मुंबई को भागने के लिए जो इंस्टेंट एनर्जी चाहिए होती है ना वो किसी एनर्जी बाहर है एनर्जी ड्रिंक से नहीं आ सकती थी वो वडापाव से आती थी ॅ टिल पडे बूस्ट ॅ नाॅट तो बेसिकली कहने का ये मतलब है कि खाना जो है ना , वो किसी की जागीर नहीं , ना मेरी ना किसी और अगर मैं आपको बोलूं की रेसिपी ऐसे बनती है और ऐसे ही बनाइए तो उस दिन आप अनसब्सक्राइब कर दीजिये खाना जो है वो हम सब का है इसे प्रजातंत्र होता है ना पहुंॅच जो आपको पसंद है वो बनाई और अगर कोई कहीं ना ऍन टिक नहीं उसको बोलिये के ढूंढ के लाओ उसको जिसने रेसिपी सबसे पहली बार बनाई थी क्योंकि सिर्फ और सिर्फ वही अॅाप्रेटिंग चलो