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तो चलिए बढ़ते हैं .
आज की इस कहानी की ओर .
आज मुझसे कोई पूछे की आत्माएं होती हैं या नहीं तो मेरा जवाब वो नहीं होता जो मैं पहले देता था .
जो मेरे साथ हुआ अगर वो ना हुआ होता .
तो मैं आत्माओं पर विश्वास नहीं करता .
ये घटना दो हज़ार चौदह की है .
मेरा नाम संजय है .
मैं इंदौर में अपनी पढ़ाई करने के लिए आया था .
मैं पहले अनाथ था .
बाद में मुझे गुप्ता परिवार ने गोद ले लिया था .
वो दिन मेरा college का पहला दिन था .
मैं बहुत खुश था .
क्योंकि ये college इंदौर का सबसे बड़ा college था .
उस college का नाम था गांधी college .
मैं जब college पहुंचा , तब college में बहुत चहल पहल थे .
और ये सब देखकर मैं बहुत ही ज़्यादा खुश हो गया .
जब मैंने college में देखा , हर जगह लोग यहां वहां चल रहे हैं .
पर एक कोने में एक लड़की गुमसुम सी बैठी थी .
मैंने ये देखा तो मेरे से रहा नहीं गया .
मैं तुरंत वहाँ चला गया और उसके पास जाकर पूछने लगा कि क्या हुआ .
वो लड़की वो मुझे कुछ अजीब नज़रों से देखने लगी .
उस लड़की को मैं कुछ और पुछ पाता .
तभी मुझे पीछे से किसी ने आवाज़ दी .
तो मैं पीछे मुड़ा .
मेरे पीछे मेरे बचपन का दोस्त था .
समीर .
उसने बोला यहां क्या कर रहा है तू ?
तब मैंने उसे कहा यार इसी college में मेरी admission हो जाए और ये लड़की .
मैं उसे वो लड़की दिखाने ही वाला था कि पता नहीं वो कहीं गायब सी हो गई .
मुझे कुछ अजीब लगा .
मुझे लगा कि शायद चली गई होगी .
इसलिए मैंने ज़्यादा ध्यान नहीं दिया .
बाद में मैं college देखने में बीजी हो गया पूरा एंजॉय करने के बाद मैं वापस घर की और ही जा रहा था दोस्तों के साथ गप्पे लड़ाते हुए काफी वक़्त हो चला था और अब तक आसमान में पूरी तरह से अंधेरा छा चुका था .
मैं अपने घर की ओर वापस पढ़ रहा था .
घर का रास्ता बहुत ही सुनसान था .
मुझे थोड़ा डर भी लग रहा था .
तभी किसी ने मुझे पीछे से आवाज़ दी .
और वो आवाज़ किसी लड़की के थे .
उस लड़की ने कहा संजय तुम हो ना ?
मैं उस आवाज़ को सुनकर और भी डर गया .
पर मैं अपने डर पे काबू पाकर वापस से चलने लगा और चलने की रफ़्तार बढ़ा दी .
पर वो आवाज़ वापस आई और नाम के साथ कह रहे थे .
डरो मत .
मैं तुम्हें कुछ नुकसान नहीं पहुंचाना आई हूँ .
पहले उस लड़की की परछाई दिखे और वो तुरंत मेरे सामने आ गई .
जब मैंने उस लड़की को देखा .
पहले तो मैं डर गया .
पर मुझे याद आया , कि ये तो वही college वाली लड़की है .
मैंने उसको घबराते हुए पुछा , तुम मेरा नाम कैसे जानती हो ?
इस पर वह लड़की बोली .
मैं एक आत्मा हूँ .
पर रुको डरो मत .
मैं किसी इंसान को बिना वजह नुकसान नहीं पहुंचाती पर मैंने कुछ और ना ही सुना और ना ही बोला और वहां से भाग गया .
जब मैं घर पहुंचा तो मैं पसीने से लथपथ और तरबतर हो गया था .
मैंने गहरी सांस ली और अपना दिमाग दूसरी ओर लगाने लगा .
पर वो नज़ारा मेरी आंखों के आगे से गायब ही नहीं हो रहा था .
फिर भी मैं सोने की कोशिश करने लगा .
तभी वापस से वो आवाज़ आने लगी .
मैं डर के मारे कांपने लगा .
मैंने बोला , तु तुम कौन हो ?
तो वो लड़की अचानक से मेरे सामने आई और कहा मेरा नाम काव्य है तुम तुम डरो मत मुझसे मेरी मदद करो मुझे तुम्हारी मदद की ज़रूरत है इस पर मैंने उससे पुछा मैं तुम्हारी मदद कैसे करूं ?
इस पर वो लड़की बोली मुझे मुक्ति दिलाओ मैं मैं तुम्हें मुक्ति कैसे दिला सकता हूँ ?
इस पर उस लड़की ने कहा , मुझे कोई अपना ही मुक्ति दिला सकता है .
पर मैं तुम्हारा अपना कैसे हुआ ?
तुम मेरे अपने हो .
मैंने ये सुना तो मैं हक्का बक्का रह गया .
पर उसने कहना जारी रखा .
उसने कहा कि हम लोग अनाथालय में साथ में थे .
तुम मुझे प्यार से लड्डू बुलाते थे .
तब जाकर मुझे याद आया कि यह तो मेरे बचपन की दोस्त है .
तब जाकर मुझे शांति मिली .
पर दूसरी ही second मैंने दुखी होकर पुछा .
तुम्हारी यह हालत कैसे हो गई ?
तब काव्या ने कहा तुम्हें तो पता था कि मुझे पढ़ना कितना पसंद था और मैंने बहुत मेहनत करके आगे पढ़ाई की और आगे बढ़ने के लिए मुझे इसी college में admission मिल गया.सब बहुत अच्छा चल रहा था .
पर एक दिन दो लड़कों की बुरी नज़र मुझ पर पड़ी और फिर उन लोगों ने मेरे साथ बहुत गलत किया और मुझे मार दिया और तब जाकर मैं आत्मा वन गई जब यह मेरे साथ हुआ तब मैं बहुत डरी सहमी थी जब मुझे होश आया तब वो दोनों लड़के मेरे शरीर को दफना रहे थे मैंने उन्हें रोकना चाहा तब मुझे पता चला कि मैं मर चुकी हूं और मैं कुछ नहीं कर पाई .
आगे काव्या ने बताना जारी रखा .
जब मैं भटक रहे थे .
तब एक तांत्रिक ने मुझे देख लिया और मुझे बोला कि मुझे पता है कि मेरे साथ गलत हुआ है .
तब मैंने कहा कि उसे कैसे पता और वो मुझे कैसे देख सकता है .
इस पर उस तांत्रिक ने कुछ कहा तो नहीं .
मगर उसने बस इतना ही कहा कि मुझे मुक्ति तभी मिले जब मेरा कोई यातना मेरे शरीर का अंतिम संस्कार करेगा .
ये सारी बात जब मैंने सुनी तो मेरी आँखें भर आई पर काव्या ने कहना चालू रखा कि उसका बदला तो पूरा हो गया पर उसे मुक्ति नहीं मिली इसलिए वो अभी तक भटक ही रहे हैं सालों साल बीत गए पूरे तीन साल के बाद मैं उसे मिला हूं मैंने यह बात सुनकर उससे पुछा तो मैं तुम्हारी मदद कैसे करूं ?
तब काव्य ने कहा मेरे शरीर को अंतिम संस्कार कर कर और फिर वो मुझे अपने शरीर के पास ले गए .
मैंने वहाँ खुद आएगी तो वहाँ हड्डियों के कुछ टुकड़े और एक सिर मिला .
मैंने उस शरीर को अग्नि दान किया और उसके बाद फिर मुझे काव्य कभी नहीं दिखे .
तो दोस्तों ये थी आज की पहली कहानी .
तो चलिए बढ़ते हैं आज की दूसरी कहानी की ओर .
अमावस की काली और सुनसान रात में , नागिन की तरह चलती तेज हवाएं .
उस अंग्रेज़ के शरीर में सेरण पैदा करने के लिए काफी थे .
उसके किए बुरे काम की सजा .
आज उसे मिलने वाली थी और उसके सामने बचने के सारे रास्ते बंद हो चुके थे .
ये कहानी उस समय की है , जब भारत अंग्रेज़ों का गुलाम था .
पूरे भारत में अंग्रेज़ों का शासन चलता था .
अंग्रेज़ officer और सिपाही लोगों का आर्थिक शारीरिक और मानसिक रूप से खूब शोषण करते थे .
आंध्र प्रदेश के एक गाँव में किसान रहता था .
जिसकी सुनैना नाम के एक बेटे थे .
वो खेतों में अपने पिता के साथ मिलकर सभी काम किया करते थे .
सुनैना दिखने के साथ साथ व्यवहार में भी बहुत अच्छे थे .
उसकी प्रशंसा गाँव के सभी लोग करते थे .
एक दिन सुनैना अपने खेत में अकेले फ़सल काट रहे थे .
उसके पिताजी किसी काम से दूसरे गाँव गए थे .
तभी वहां कुछ अंग्रेज़ आदम के .
और अकेला देखकर वो उसके साथ छेड़खानी करने लगे .
सुनैना ने विरोध किया और वो ज़ोर ज़ोर से मदद के लिए चिल्लाने लगी .
लेकिन उसकी आवाज़ सुनने वहाँ कोई नहीं था .
उन चारों दरिंदों ने मिलकर सुनैना के साथ बुरा काम किया और उसको उसी हालत में वहीं पर छोड़ दिया .
लोग लाज और शर्म के चलते .
पास बह रहे नदी में सुनैना ने छलांग लगा दी और उसने आत्महत्या कर ली .
पूरे गाँव में शोक की लहर फ़ैल गई .
लेकिन किसी की भी हिम्मत नहीं हुई .
उन अंग्रेज़ों को कुछ भी कह सके .
सजा देना तो दूर .
कुछ समय बाद एक अंग्रेज़ की लाश जंगल में पड़ी मिली .
अंग्रेज़ अफसरों में तहलका मच गया .
अंग्रेज़ों ने खोज pen शुरू की लेकिन कुछ भी पता नहीं चला .
ऐसे ही दो तीन दिन बाद एक और अंग्रेज़ सिपाही की दर्दनाक मौत हो गई और उसकी शव नदी किनारे एक पेड़ से लटके मिली .
उसकी दोनों आँखें फोड़ दी गई थी .
लगातार दो अंग्रेज़ सिपाहियों के मौत में London में बैठे राजदरबार के लोग भी घबरा गए और उच्च इस तरह जांच बैठा दी गई .
लेकिन उसका भी कोई परिणाम नहीं मिला .
अभी जांच चल ही रहे थे कि उस रात एक और सिपाही की लाश नाले में पड़ी मिली .
तीन तीन अंग्रेज़ की हत्या होने के बाद उन सभी में एक बात की खोज होने लगी .
जिससे पता चला कि वो तीनों एक साथ उस गांव में ही duty कर रहे थे .
तो जो चौथा अंग्रेज़ सिपाही था , जिसने उन सबके साथ मिलकर उस लड़की के साथ पूरा काम किया था .
उसका दिमाग घुमा और वो दौड़ा दौड़ा भागा .
और सीधे अपने उच्च अधिकारियों के पास गया और पूरी कहानी सुना दी .
उसके अंग्रेज़ अधिकारी उस पर हंसने लगे .
जो खुद मर गया वो दूसरों को कैसे मारेगा .
यही बात लेकर वहां पर जैसे विवाद छिड़ गया .
लेकिन वो अंग्रेज़ उसे शक हो गया और उसे बहुत डर लगने लगा .
वो समझ गया था कि सुनैना उसे भी नहीं छोड़ेगी .
अब वो ही अंतिम सिपाही बचा था .
बाकी सभी तो मारे जा चुके थे .
इसका मतलब अब वो ही अगला शिकार था .
भारत में रहते हुए उस अंग्रेज़ ने एक साधु बाबा की कहानियां sun रखे थे .
जो बुरी आत्मा और भूत प्रेत से बचाते हैं .
वो जंगल में निवास करने वाले साधु बाबा पर गया और उसने अपनी समस्या बताई .
लेकिन यह नहीं बताया कि उसने उस लड़की के साथ क्या किया था साधु बाबा बड़े ही सिद्ध पुरुष थे उन्होंने उस अंग्रेज़ सिपाही की आंखों में देखकर पूरी बात का पता लगा लिया और फिर उसकी मदद करने से इनकार कर दिया .
साधु बाबा के इन बातों से वो अंग्रेज़ सिपाही और घबरा गया और उसने England जाने का फ़ैसला कर लिया .
वो दोबारा भागा भागा .
अपने उच्च अंग्रेज़ अधिकारी के पास गया और उसको वापस England transfer करने की विनती करने लगा उस बड़े अंग्रेज़ अधिकारी ने कहा ठीक है मैं तुमको England जाने का पत्र दे दूंगा लेकिन सोने के 50 सिक्के घूस में देने होंगे वैसे तुमने आस पास के गांव वालों से बहुत पैसा लूटा है और बस यही चाहिए .
England वापस जाने के लिए अंग्रेज़ सिपाही ने अपने लूट के संपत्ति से पचास सोने के सिक्के अपने से उच्च अंग्रेज़ अधिकारी को खोज दिया और उसी दिन England के लिए रवाना हो गया .
सुनैना के गाँव में सभी लोग दवे जुबान में इन्हीं सभी हत्याओं की चर्चा कर रहे थे और मन ही मन खुश हो रहे थे .
वो जानते थे कि सुनैना की आत्मा भटक रही है .
भूत बनकर घूम रही है .
लेकिन उसके पिताजी ने उसकी आत्मा की शांति की पूजा नहीं की .
क्योंकि वो चाहते थे कि सुनैना पहले अपने आखिरी अपराधी को भी जान से मार डाले .
उसके साथ हुए दुष्कर्म का बदला ले .
उसके बाद फिर आत्मा की शांति की पूजा कराएंगे .
इधर वो अंग्रेज़ अपने देश जाने के लिए पानी वाले जहाज में बैठ चुका था .
वो बहुत ही खुश था कि वो बच गया .
कुछ दिन में वो अपने घर चला गया और शराब मांस पीकर खाकर chain से रहने लगा .
एक दिन वो शाम को ऐसे ही party करके घर आया और थक जाने के कारण गहरी नींद में chain से सो गया .
लेकिन नियति ने शायद उसके भाग्य में कुछ और ही लिखा था .
आधी रात होते ही उस अंग्रेज़ सिपाही को लगा कि उसकी छाती पर कोई चढ़कर बैठा है .
पहले तो उसे लगा कि उसने शराब ज़्यादा पी ली इसलिए उसे ऐसा लग रहा है .
लेकिन जैसे ही उसने आँखें खोली तो उसके होशोआवाज़ सब उड़ गए .
उसके सीने पर बैठे भयानक चुड़ैल को देखकर उसकी आँखें फटी की फटी रह गई .
उसको विश्वास नहीं हो रहा था कि उसने तो भारत छोड़ दिया .
तो फिर यह यहां कैसे आ गई ?
उसके बाद उस चुड़ैल ने पूरी ताकत से अपने दोनों हाथ उसके छाती में घुसा दिए हैं .
उसका सीना फाड़ते हुए सुनैना ने उसका दिल उसके शरीर से नोच कर बाहर निकाल दिया .
वो आखिरी अपराधी भी अपने बिस्तर पर तड़पता हुआ मर गया उसके मरने के बाद मानव चुड़ैल के चेहरे पर भी शांति के भाव दिखने लगे हैं .
उस चुड़ैल की आंखों से भी अपने अतीत को याद कर आंसू बह गए .
उसने अपने माता पिता को याद किया और मुक्ति की कामना भी गाँव में सभी सुनैना की आत्मा की मुक्ति दिलाने के लिए पूजा कराने का पल पल इंतज़ार कर रहे थे .
उसी रात सुनैना अपने पिता के सपने में आई और उसने कह दिया कि उसने बदला ले लिया है .
अब शांति और मुक्ति चाहिए .
उसके पिताजी सुबह होते ही जंगल में साधु बाबा के पास गए और सारी कहानी सुनाए जंगल में रहने वाले साधु बाबा पहले से ही पूरी बात जानते थे उन्होंने विद्वान ब्राह्मणों को निमंत्रण दिया और अपने दिशा निर्देश में सुनैना की आत्मा की शांति के लिए पूजा पाठ संपन्न कराया .
आखिर में हवन हुआ .
पूरे गांव के लोग सम्मिलित हुए और नम आंखों से सुनैना को हमेशा के लिए इस मृत्यु लोक से विदा कर दिया गया तो दोस्तों ये थी आज की कहानियाँ .
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तो मैं आपका दोस्त आर्यन जल्द ही मिलूंगा आपसे ऐसी ही नई कहानियों के साथ .
तब तक के लिए अपना ख्याल रखें .