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2023-07-16 03:18:09

पाँच चुड़ैल बेटियां _ Five Witch Daughters _ Hindi Stories _ Kahaniya _ Horror Bedtime Witch Stories

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बहुत समय पहले की बात है ।

एक छोटे से शहर में महेश अपनी पत्नी सरिता और अपनी पांच बेटियों के साथ रहता था ।

उसका राहुल नाम का एक बेटा भी था जो हो टॅाम इंट के लिए दूर रह रहा होता है ।

महेश बहुत ही गरीब था और बडी मुश्किल से वो घर का खर्चा चला पाता था ।

एक दिन घर में राशन ना होने की वजह से सरिता का महेश के साथ थोडा झगडा हो जाता है ।

मैं क्या करूँ ?

बताओ मैं तो पूरा दिन बाहर काम के लिए घूमता हूँ ।

कोई पक्की नौकरी तो है नहीं ।

मेरी जो तुम्हारे हाथ में तनख्वाह लेकर रख दूँ नौकरी नहीं है तो कोई नौकरी ढूंढ लो जी तुमको का एक नौकरी भी नहीं मिल पा रही ।

घर में पाँच पाँच लडकियाँ बैठी है इनका पेट कैसे पालू ऊपर से राहुल की पढाई इन की चिंता मुझे भी है और तुम मेरी परेशानी कहाँ समझती हो तो मैं तो बस अपनी बात बोलनी होती है ।

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क्यों लड रहे आप दोनों मुँह लडाई मत करो ना हमें भूख नहीं लगी है ।

हाँ सच में हमें भूख नहीं लगी है ।

हाँ बस आप दोनों लडाई मत करो पहुँचो बेटियों को ये सब देख बडा बुरा लगता है ।

उसके बाद वो मिलजुल कर कुछ करने का सोचती है और अगले दिन अपने माँ बाप को एक समोसे की दुकान खोलने को बोलती है ।

अरे बेटी दुकान खोलना कोई मजाक है क्या ?

पर हम कोशिश तो कर सकते हैं ना बाबा ।

हम नुक्कड पर समोसे और पकौडी लगाकर बेच सकते हैं और साथ में चाय की टपरी भी लगा लेंगे ।

वहाँ चलता बाजार है , अच्छी कमाई हो जाएगी ।

हमारी लडकी सही बोल रही है और तुम उसकी बात समझो ।

तब ना हम पाँच बहने है ना हम सब आपकी मदद करेंगे ।

आप काम तो शुरू करो ।

महेश को अपनी बेटी की बात समझ आ जाती है ।

वो शाम तक पैसों का बंदोबस्त करता है ।

उसके बाद उसकी पाँचों बेटी अपनी दुकान खोलने के काम में जुट जाती है ।

कोई पकोडे बनाती है , कोई चाय बनाती है ।

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सब के सब बहने बडे मन से काम में जुट जाती है ।

आखिरकार महेश की दुकान तैयार हो जाती है ।

धीरे धीरे उस दुकान पर ग्राहक भी आने लगते हैं ।

वह महेश तो ना तो अच्छी खासी दुकान खोली ।

हाँ मेरी बेटियों की वजह से मुमकिन हो पाया है ।

ये ना होती और कुछ ना हो पाता ।

ऐसी बेटियाँ भगवान सबको देख सच में महेश अपनी बेटियों के साथ मिलकर दुकान चलाता है और कुछ ही दिन में उनके घर की हालत सुधरने लगते हैं ।

उसके बाद वो राहुल की पढाई के पैसे इकट्ठे करके उसे भेज देते हैं ताकि वो आगे की पढाई अच्छे से कर सके ।

सब बहुत अच्छे से चल रहा होता है ।

सब खुशी खुशी रह रहे होते है ।

पर एक दिन एक बहुत बडा हादसा हो जाता है ।

एक दिन जब महेश की तबियत कुछ ठीक नहीं होती तो वो दुकान पर नहीं जा पाता ।

बस उसकी बेटियां ही दुकान पर जा कर चाय समोसे बनाने और बेचने का काम करने लगती है ।

उस दिन दुकान पर काफी भीड होती है क्योंकि उस दिन दशहरा होता है ।

रात को तो भीड और ज्यादा हो जाती है ।

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पांचो लडकियों को जरा भी फुर्सत नहीं मिल पाती ।

आज तो काम हम काम कर करके हालत हो गई है पर कमाई भी तो कितनी अच्छी हो रही है मैं आप देखेंगे तो कितने खुश होंगे ?

हाँ ये बात तो सही कहीं चुटकी ने सब लोग काम कर ही रहे होते हैं कि तभी कुछ बच्चे दूकान के आगे पटाखे जलाने लगते हैं ।

अरे बच्चों यहाँ बहुमत फोटो आगे जाकर फोटो देख नहीं रहा ।

यहाँ सिलिंडर वगैरह रखा हुआ है और खोलता हूँ ।

तेल भी है जाओ यहाँ से इन लोगों की दुकान कुछ ज्यादा ही अच्छी चल गई है इसलिए ज्यादा बनने लगी है ।

अभी इनको सबक सिखाता हूँ वो लडका एक रॉकिट महेश की दुकान में छोड देता है जिससे कि वहाँ आग लग जाती है ।

एकदम से दुकान में अफरा तफरी मच जाती है ।

कोई दुकान से निकल कर भाग पाए ।

इतने में सिलिंडर में आग लग जाती है और सिलिंडर फट जाता है ।

सिलिंडर के पत्ते ही पाँच वो लडकियों की मौत हो जाती है ।

जल्दी से लोग महेश के घर जाकर उसे बुलाकर लाते हैं ।

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पर तब तक सब कुछ हो चुका था ।

उसकी दुकान भी और उस की बेटियाँ भी मेरा सब बर्बाद हो गया ।

मेरी सारी बेटियाँ मुझे छोड कर चली गई ।

भगवान अभी तो हमारी जिंदगी में खुश यानी शुरू हुई थी और एक ही झटके में तुमने हमसे ये क्या हो गया ?

बेचारे मिया बीवी के साथ बहुत ही बुरा हुआ है ।

इतनी गरीबी की जिंदगी जी रहे थे ।

इतने दिनों बाद लडकियों की वजह से अच्छा कमाने लगे थे पर पता नहीं किसकी बुरी नजर लग गई ।

जाने क्या होगा ।

अब इनका महेश और सरिता अपनी फूटी किस्मत को लेकर रोते रहते हैं ।

सब कुछ बर्बाद हो चूका होता है और उसके साथ उनके घर की हालत फिर से पहले जैसे हो जाते हैं ।

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उस रात जब महेश और सरिता सो रहे होते हैं तो उनके घर उनकी पाँच चुडैल बेटियाँ वापस आ जाती है ।

उनके घर के हालात उन को वहाँ वापस खींच लाते हैं ।

वो चुडैल होती है पर उन के अंदर अभी भी बेटियों वाला प्यार होता है और वो अपने माँ बाप की ऐसी हालत देख नहीं पाती ।

हमें अब अपने माँ बाप की सारी तकलीफों को दूर करना होगा ।

कैसे जीती जैसे पहले करते थे बिल्कुल वैसे चलो पहले घर का सारा काम करते हैं ।

पांचों चुडैल बेटियाँ मिलकर कामों में जुट जाती है ।

पूरी रात पाँचों चुडैल बेटियाँ अपने अपने काम में लगी रहती है और सुबह का सूरज निकलने से पहले ही सारे काम निपटा देती है ।

सुबह होने पर जब महेश और सरिता उठते हैं तो घर को इतना चमकता हुआ देखकर बडे हैरान होते हैं ।

घर तो कल रात तक इतना गंदा पडा था ये इतना कैसे हो गया ।

ये सब किसने के आखिर जी सरिता रसोई में जाती है ।

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तो वहाँ ढेर सारा खाना बना रखा होता है और उसके साथ ही समोसे और पकोडे भी ।

साथ में बर्तन भी एकदम चमाचम चमक रहे होते हैं ।

ये सब क्या है जी घर में खाने का एक भी दाना नहीं था ।

मेरे भी कुछ समझ में नहीं आ रहा है ।

जो भी हो अब आप जाकर इन समोसे और पकौडे को दुकान पर भेज दो ।

कुछ पैसे तो आएँगे हमें राहुल के लिए भी पैसे भेजने है ना वहाँ पर दुकान तो बिल्कुल जलकर राख हो रखी है ।

अरे तो जाकर हम सफाई कर लेते है ।

सरिता और महेश दुख कानपुर समोसे और पकोडे लेकर जाते हैं तो वहाँ दुकान को चमचमाता देख हैरान हो जाते हैं ।

आखिर ये कौन है जो हमारी इतनी मदद कर रहा है ।

जो भी है भगवान उसका भला करें उसे खुशियाँ ।

सरिता और महेश मिलकर दुकान पर समोसे और पकौडे बेचने लगते हैं ।

पहले तो लोग आने में थोडा झिझकते हैं क्योंकि उनको तो महेश की बेटी के हाथ के ही पकोडे पसंद होते हैं ।

पर फिर धीरे धीरे करके कुछ लोग पकोडे ले जाते हैं और समोसे दिखाते हैं ।

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सरिता और महेश को अपनी रसोई में पकौडे और समोसे बने रखे मिलने लगते हैं और ऊपर से उनके घर का काम भी रातोंरात कोई कर जाता है ।

फिर एक दिन उनका एक पडोसी भी जब वहाँ खडे होकर समोसे का स्वाद ले रहा होता है तो अचानक बोल पडता है , बडी अजीब बात है ।

महेश एकदम वही स्वाद है जैसे तुम्हारी बेटी बनाती थी ।

मुझे लगा नहीं था कि तुम बिल्कुल तुम्हारी बेटी जैसे समोसे और पकोडे बना सकते हो ।

मेरी बेटी जैसे सरिता जरा खा कर तो देखे हम भी ये कैसा स्वाद है इनका महेश्वर ।

सरिता जब पकौडे और समोसा खा कर देखते हैं तो उन की आँखें खुली की खुली रह जाती है ।

स्वाद तो बिल्कुल वैसा है ।

इसका मतलब हमारी बेटी ने हाँ जी पर इसमें कितनी सच्चाई है यह से पता चलेगा ।

आज रात हम छुप कर देखेंगे तभी पता चलेगा ।

रात को सरिता और महेश दोनों सोने का नाटक करते हैं ।

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उसके बाद उनकी पाँचों चुडैल बेटियाँ वापस अपने घर आ जाती है ।

चलो बहनों जल्दी जल्दी अपने काम में लग जाओ ।

हमें जल्दी से सब निपटाना है ।

जल्दी जल्दी करो सब सारी चुडैल बेटियाँ अपने अपने काम में लग जाती है ।

उसके बाद महेश और सरिता चुपके से अपने कमरे की खिडकी से बाहर देखते हैं ।

तो उनकी आंखें फटी की फटी रह जाती है ।

घर में चुडैलें काम कर रही होती है ।

चुडैल हमारे घर में चुडैल हमें कुछ करना होगा ।

सरिता ये चुडैल हमारे घर में आखिर क्या कर रही है ?

महेश और सरिता को देखते हुए एक चुडैल बेटी उन्हें देख लेती है ।

दीदी माँ बाबू जी ने हमें देख लिया है , जल्दी आओ दी थी ।

मतलब सच में हमारी बेटियाँ है ।

सरिता और महेश कमरे के बाहर आकर खडे होते हैं ।

अब उन्हें उन चुडैलों से जरा भी डर नहीं लग रहा होता ।

वो बे झिझक उन चुडैलों से पूछते हैं तुम पर जो हमारी बेटी हो ना ।

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हाँ हम सब आपकी बेटी है जो उस दिन उस धमाके में जलकर मर गई थी ।

आपकी ऐसी हालत की वजह से हमें मुक्ति नहीं मिली ।

जब तक हम आपकी जिंदगी सुकून से नहीं भर देंगे , हमें मुक्ति नहीं मिलेगी उसके लिए मैं हूँ ना दीदी , इनका बेटा और आपका भाई ।

मुझे इन लोगों ने कुछ नहीं बताया कि आप लोग इस दुनिया में नहीं रहे ताकि मेरी पढाई ना हो ।

पर क्या वो आप सबसे ज्यादा जरुरी थी ?

क्या बेटा राहुल मैंने सब सुन लिया और सब देख लिया ।

मेरी बहनें मरने के बाद भी अपना फर्ज निभा रही है और मैं जीतेजी ना कर पाऊँ तो क्या अब मैं देखभाल करूँगा ।

आप सब की मेरा होटल मैनेजमेंट की पढाई हो गई है ।

अब मैं यहाँ बढिया साॅफ्ट खोलूंगा और अब सब कुछ अच्छा हो जाएगा ।

सच में राहुल जैसा बोलता है वैसा ही करता है ।

सब ठीक हो जाता है तब जाकर पाँचों चुडैल बेटियों को मुक्ति मिलती है ।

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