नमस्कार दोस्तों बाईस अक्टूबर साल दो हजार आठ इंडिया के द्वारा चंद्रयान वन मिशिन लॉन्च किया जाता है ।
चाँद पर पहुँच कर ये स्पेसक्रॉफ्ट कुछ ऐसी चीज की खोज करता है ।
इसको लेकर दुनिया भर में हेडलाइन थक जाती है ।
वॉटर मून चंद्रयान पहली बार इसका ठोस सबूत लाता है ।
दुनिया के सामने की चाँद पर पानी मौजूद है ।
स्पसिफिकेशन कहा जाए तो चाँद के साउथ पोल के एरिया में मौजूद है ।
इस खबर को देखकर दुनिया भर के देशों में चाँद को एक्स्प्लोर करने का क्रेज फिर से जाग उठता है ।
अमेरिका और चाइना के द्वारा फॅमिली मून पर मिशिन भेजे जाते है ।
इजराइल कोशिश करता है चाँद पर सॉफ्ट लैंडिंग करने ।
इसके अलावा जाॅन यूरोप और रशिया के द्वारा भी कई लूनर मॅन किए जाते हैं ।
लेकिन आज दुनिया की नजर है इंडिया के चंद्रयान स्त्री मिशिन पर आखिर कौन सी नई खोज चंद्रयान तरीका मिशिन करेगा और चंद्रयान टू का मिशिन फेल हो गया था ।
आइए जानते हैं आज के इस विडियो ॅ मून मिशिन यानी चाँद पर भेजे जाने वाले मिशिन पाँच छह अलग अलग प्रकार के हो सकते हैं ।
सब नाइनटीन फिफ्टी में पहली बार था जब इंसानों ने चाँद परमिशन भेजने शुरू किए थे ।
और तब से लेकर अबतक टेक्नोलॉजी जैसे जैसे इम्प्रूव होती गई है इन मिशिन की कंप्लेक्स सिटी भी उतनी ही बढती गई ।
सबसे पहले सबसे सिम्पल टाइप के मिशिन होते हैं फ्लाइट बाइक मिशिन इसमें एक स्पेसक्रॉफ्ट को भेजा जाता है स्पेस में जो चाँद के पास से गुजरे यानी चाँद के चारों ओर ये गोल गोल नहीं घूमे बल्कि चाँद के पास उडकर ये बगल से निकल जाए ।
सबसे पहला सक्सेसफुल फ्लाइ बाइ मिशिन सोवियत यूनियन के द्वारा लॉन्च किया गया था ।
जॅानी नाइनटीन फिफ्टी नाइन में जब इनका स्पेसक्रॉफ्ट लू ना वन चाँद के बगल से गुजरा था ।
इसके दो महीने बाद अमेरिका ने अपना पहला सक्सेसफुल फ्लाइट मिशिन लॉन्च किया ।
मार्च नाइनटीन फिफ्टी नाइन में जिसका नाम था फोर ।
इनका मकसद था दूर से ही चाँद को स्टडी करना ।
अक्टूबर नाइनटीन फिफ्टी नाइन में जब सोवियत यूनियन लूना त्रि लॉन्च करता है तब हमें पहली बार चाँद की एक फोटो तो देखने को मिलती है ।
करीब से स्क्रीन पर देख सकते हैं आप ये पहली फोटो मून की दूसरी साइड की ली गई थी जो डार्क साइड होती है मून की जो धरती से हमें नॉर्मली कभी दिखती नहीं ।
आज के दिन फ्लाइ बाइ मिशिन तभी किये जाते है जब किसी और मिशिन के रास्ते में चाँद दिख रहा ।
लेकिन चाँद को ही अगर स्पेशली जांचना है तो आती है अगली कॅश इन की जिन्हें ऑर्बिटर मिशन बुलाया जाता है ।
इसमें स्पेसक्रॉफ्ट चाँद के पास आकर चाँद के ऑर्बिट में गोल गोल चक्कर लगाते हैं ।
इसे लूनर ऑर्बिट कहा जाता है और यहाँ से ये चाँद केसर फिस और ऍम अस फेर को स्टडी करते हैं ।
टिल डेट चालीस से ज्यादा सक्सेसफुल ऑर्बिटर मिशिन हो चुके हैं और आज के दिन तक ये मोस्ट हाँ मनमून मिशिन का टाइप है ।
सबसे पहला सक्सेसफुल ऑर्बिटर मिशन किया गया था एक बार फिर से सोवियत यूनियन के द्वारा ऍम नाइनटीन सिक्सटी सिक्स में इसके बाद आती है अगली कॅश ये मिशिन ऑर्बिटर मिशन ऍम होते हैं ।
यहाँ मेन स्पेस कॅश ऑर्बिट करते रहता है लेकिन वो स्पेसक्रॉफ्ट से एक हिस्सा डी फॅार चाँद पर जाकर कॅश करता है क्योंकि क्राॅसिंग के वक्त ये मून से इम्प्लाॅइज आप पूछोगे कॅश कराने का क्या तुक बना इसका जवाब बडा सिंपल है कॅालिंग करने तक का जो समय जब चाँद के करीब करीब आए जा रहा है उसी समय में काफी सारी इंस्ट्रमेंट की रीडिंग ली जा सकती है ।
इसलिए ऍम भी काफी उस फल होते हैं ।
चंद्रयान वन हमारा एक फॅमिली जो हिस्सा स्पेसक्रॉफ्ट का अलग होकर चाँद पर जाकर क्राॅसिंग करता है , उसे मून इंपैक्ट प्रोब कहा जाता है ।
चंद्रयान वन के मून इंपैक्ट प्रोव में एक इंस्ट्रमेंट लगा था ऍम पहुंॅच लोरर ।
शॉर्ट में इसे चेस कहा जाता था ।
एक मॅन मीटर था जो हर चार सेकंड में रीडिंग लेता रहता था ।
जैसे ऐसे ये चाँद के करीब आ रहा था कॅश के लिए ।
और इसी इंस्ट्रमेंट की मदद से हमें पता चला कि चाॅस फीर में पानी मौजूद है ।
ये मूवी ॅ पर जाकर चाँद पर ये क्रिकेटर है जो चुना गया था और जो पॉइंट अवॅार्ड है उसे नाम दिया गया जवाहर पॉइंट ।
चंद्रयान वन में ऑर्बिटर भी था , जो अपना ऑर्बिटर मिशन अलग से कर रहा था ।
इसलिए ऑर्बिटर के बिना मून इंपैक्ट प्रोब लॉन्च भी नहीं किया जा सकता ।
इस ऑर्बिटर ॅ इंस्ट्रमेंट लगा हुआ था ।
मून मिनिरल अॅान पर तो चाँद पर मौजूद कुछ मिट्टी हवा में उड उस मिट्टी को उस लूनर सॉयल ॅ क्या एक इंस्ट्रमेंट और इसी ऍम इस इसके बाद कन्फर्म हुआ कि चाँद की मिट्टी में भी पानी मौजूद है ।
चौथी कॅटेगरी आती है मून मिशिन की फॅार मिशिन यहाँ पर स्पेसक्रॉफ्ट के एक हिस्से को चाँद पर भेजा जाता है ।
सॉफ्ट लैंडिंग करने के लिए कॅश नहीं करना आराम से उतारना है ताकि चाँद पाॅड कर सके कोई हिस्सा ।
स्पेसक्रॉफ्ट का जो हिस्सा ॅ करता है उसे यूज फॅार कहा जाता है ।
ये करना बहुत बहुत कॉम्प्लिकेटेड चीजें और जब अमेरिका और सोवियत यूनियन ने पहली बार ट्राइ करें ये करने की तो पहल पंद्रह ऍप्स में वो फेल रहे पंद्रह ऍम मायने रखता है साल नाइनटीन सिक्सटी सिक्स में पहला सक्सेस ऍम किया जाता है एक बार फिर से सोवियत यूनियन के द्वारा इनकी लू ना नाइन मिशिन के द्वारा दुनिया की पहली साॅन्ग थी ये मून पर और इसी स्पेसक्रॉफ्ट ने पहली फोटो भी खींची ।
चाँद के सर्फ इसकी ये फोटो कुछ ऐसी दिखती ज्यादा हाई क्वॉलिटी फोटो ऍफ मत करो या नाइनटीन सिक्सटी सिक्स की बात है ।
वैसे स्पेस के विडीओ देखकर दोस्तों अगर आपको इंट्रेस्ट इसी फील्ड में अपना करियर बनाने में एरोस्पेस रॉकिट साइंस लेकिन आप जानते नहीं फॅमिली ये कैसे किया जाए ?
क्या इंडिया में पढाई की जाए ?
अब्रॉड को यूनिवर्सिटी ढूँढी जाए ।
कौन सी यूनिवर्सिटी उं सबसे ज्यादा सूटेबल रहेंगे ?
उनमें कौनसे प्रोग्राम आपको इस काॅपर ले जा सकते हैं ।
इन सवालों के जवाब के लिए एक बडा ही सिंपल सलूशन है ।
फॅमिली किसी महंगे करीर काउंसलर के पास जाने की जगह है जो की अक्सर वैसे भी आपके पेरेंट्स की बातों से बहुत इंफ्लूएंस रहते हैं ।
आप ऍम काउंसलर बना सकते हो ।
आप इससे इंडिया की नहीं बल्कि दुनिया भर की यूनिवर्सिटी को लेकर सवाल पूछ सकते , स्कॉलरशिप ढूंढ सकते हो , बाहर पढने जाना है तो क्वॉलिटी लाइफ के बेसिस पर शहरों को ढूंढ सकते हो ।
ये सब कैसे करना है ?
मैंने डिटेल में एक्सप्लेन किया है मॅन पीटी के स्टूडेंट्स पॅाल कोर्स में जो मेरा फुल डॅडी कोर्स है उसमें स्टूडेंट का चैप्टर आप स्टूडेंट स्पेशल डिश इनमें अलग से खरीद सकते हैं ।
एक बहुत ही अफोर्डबल प्राइस पर और आप में से पहले चार सौ लोग जो इसे खरीदेंगे उन्हें और अडिशनल फोर्टी टू टू परसेंट डिस्काउंट मिलेगा ।
अगर आप कूपन कोड मून फोर्टी टू यूस करेंगे तो कोर्स का लिंक इस्काॅन करके मिल जाएगा और नीचे डिस्क्रिप्शन में भी है ।
और जो लोग आप में से फुल कोर्स खरीदना चाहते हैं उसका लिंक इस वाले क्यूआरकोड में है और ये भी डिस्क्रिप्शन में मिल जायेगा ढेरों लोग जिन्होंने इस कोर्स को अभी तक लिया है उन्हें बहुत पसंद आया और बहुत यूजफुल लगाया ।
उनके रिव्यु यहाँ देख सकते हैं तो जल्दी से जाकर आप भी इसे जॉइन कर सकते हैं ।
अब टॉपिक पर वापस आते हैं आमतौर पर ये ऍम होते हैं ये काफी बल्कि होते हैं बहुत ही हॅूं बडे होते हैं तो ये चाँद पाॅड करके बस रुक जाते है वहीं पर हिलते नहीं उसके बाद अगर वहाँ चाँद के ऊपर जाकर हिलना है मूव करना है तो इस प्रॉब्लम को सॉल्व करने के लिए ।
अगली कॅटेगरी आती है मून मिशिन की जो कि है रोवर मुँह छोटे से रोबोट्स होते हैं जिनपर पहिये लगे होते हैं ताकि ये ऍम डर से बाहर निकलकर सर्फ इसपर मूव कर पाए ।
रोवर्स की मदद से डाॅट बनाया जा सकता है चाँद के सर फिस पहला सक्सेसफुल रोवर चाँद पर भेजा गया था नवंबर नाइनटीन ऍम और गैस कर सकते हो कौन सा देश था यहाँ पर एक बार फिर से सोवियत यूनियन इसके बाद आॅटो गोरी होती है मून मिशिन की ह्यूमन मिशिन जहाँ पर इंसानों को लैंडर में बिठाकर चाँद पर उतारा जाता है और रोवर की जगह इंसान अपने पैरों का इस्तेमाल करके चाँद की जमीन पर कदम रखते हैं ।
ये एक ऐसी चीज थी जो अमेरिका ने सोवियत यूनियन से पहले कर ली ।
नाइनटीन सिक्सटी नाइन में जब नील आर्मस्ट्रॉंग ने पहली बार चाँद पर कदम रखा , ॅ के द्वारा आखरी ह्यूमन मून मिशिन भेजा गया था ।
साल नाइनटीन सेवेंटी टू में तो तब से लेकर अबतक किसी ने चाँद पर कदम नहीं रखा है और इन टोटल बारह लोगों ने ही चाँद की जमीन पर कदम रखा है ।
ये सारे लोग नॅान एक सवाल आपके मन में यहाँ पर आएगा कि पहला रोवर मिशिन पहले ह्यूमन मिशिन के बाद किया गया ।
ऐसे कैसे ?
ऐसा इसलिए क्योंकि एक ह्यूमन मिशिन के लिए एक सॉफ्ट लैंडिंग करानी थी ।
लेकिन रोवर मिशिन के लिए नयी टेक्नोलॉजी की जरूरत थी जिससे रोवर को डिवेलप किया जा सके और ये नीलम स्ट्रॉंग की कदम रखने के एक साल बाद ही हो पाया ।
चंद्रयान टू का मिशिन यहाँ पर एक रोवर मिशिन के तौर पर प्लेन किया गया था ।
अगर वो मिशन अस ऍम जाता तो विक्रम लैंडर को चाँद पर सॉफ्ट लैंडिंग करनी थी और उसके अंदर प्रज्ञान नाम का एक रोबर होता जो चाँद पर उतर था ।
लेकिन अनफॉर्चुनेट ली ऐसा हुआ नहीं लेकिन सिक्स ऍम बर दो हजार उन्नीस चंद्रयान टू का विक्रम लॅा डर जब उतर रहा था ।
सॉफ्ट लैंडिंग की तैयारी कर रहा था ।
वो अचानक से जाकर क्रॅशर जाता है ।
नवंबर दो हजार उन्नीस में निकली फेलयर कमिटी रिपोर्ट के मुताबिक ये एक्सिडेंट एक सॉफ्टवेर ग्लिज की वजह से हुआ था ।
लेकिन इसरो ने कभी इस रिपोर्ट को पब्लिक न और इस चीज को लेकर इसरो को काफी क्रिटिसाइज भी किया गया था क्योंकि उस पॉइंट टाइम ॅ बहुत ही हाइली ट्रॅफी था ।
सब चीजें पब्लिक को रीवील करता था ।
कब ?
क्या सक्सेसफुल हुआ ?
कब क्या नहीं हुआ ?
क्यों नहीं हुआ ?
कई महीनों तक इसरो ने ये भी क्लेम किया था कि जो ऍन डर है वो इंटरैक्ट है , टूटा नहीं है ।
बस मून पर टिल्ट होकर गिरा हुआ है ।
लेकिन फाइनली जब प्रेशर बढा फर्स्ट जनवरी दो हजार बीस में जाकर इसरो के चीफ ने आकर एडमिट किया ।
ऍम चोर हो चुका ऍम लेकिन कंट्रोल सेंटर पर स्क्रीन ने दिखाया कि विक्रम लॅा जब उतर रहा था तो वो अपने रास्ते से भटक जाता है जब वो करीब दो किलोमीटर ऊपर था ।
सर्फ इससे जब वो करीब तीन सौ पैंतीस मीटर ऊपर था ।
सर्फ इससे ॅ लूस कर जाता है ।
बॅान्डिंग चार सौ मीटर ऊपर पहुंचने तक विक्रम को अपनी ऑलमोस्ट सारी वहाँ सिटी खो देनी थी ।
लेकिन एक किलोमीटर की हाइट तक भी विक्रम की वर्टिकल विलोसिटी दो सौ बारह किलोमीटर उं सिटी हाॅफ जोकर र्इंट चीफ है ।
ऍम वो बताते हैं कि विक्रम ऍन जिनमें प्रॉब्लम थी ।
असल में टोटल पाँच दिन में से एक ट्रस्ट थोडा ज्यादा था जिसके कारण विक्रम स्टेबल हो गया ।
असल में विक्रम को एक्चुअली फोटो लेकर डिसाइड करना था ।
कॅालिंग स्पोर्ट क्या होगा ?
लेकिन फोटो लेने के लिए कभी वो स्टेबल हो ही नहीं पाया ।
जब उसने अपनी डाॅट करने की कोशिश करी तो ट्रस्ट के मिस अलाइनमेंट की वजह से वो तो मुँह घूमने लग गया और यहाँ विक्रम के सॉफ्टवेर में भी एक लिमिट लगाई गई थी कि वो कितना तेज घूम सकता है ।
तो ये सारी प्रॉब्लम क्यूमिलेटिव हुई और इसी की वजह से अल्ट अमिट जाकर विक्रम क्रॅशर गया ।
हम अभी इतना ही जानते हैं ।
अब चंद्रयान स्त्री की बात करी जाये तो उसे लॉन्च किया गया है ।
उसी अब्जेक्टिव को पूरा करने के लिए जो अब्जेक्टिव चंद्रयान टू नहीं कर पाया ।
पूरा कुछ गलती होने की गुंजाइश कम रखने के लिए काफी सारी मां डिफिकेशन कही गई है ।
पहले तो जो लाॅन्ड्रिंग एरिया है उसे और बडा कर दिया गया है ।
जहाँ चंद्रयान टू के लिए पाँच सौ पाँच सौ मीटर का पॅन था वही इस बार चंद्रयान त्रि एक फोर किलोमीटर टू पॉइंट फोर किलोमीटर के एरिया में कहीं भी ब्लॅड कर सकता है ।
ये पिछली बार इसे ऑलमोस्ट चालीस गुना बडा एरिया है ।
दूसरा चंद्रयान थ्री में मौजूद विक्रम लॅा को इस बारी ज्यादा फ्यूल दिया गया है ताकि वो ज्यादा देर तक हवा में रह पाए और सही लाॅन्ड्रिंग साइड धूम पर तीसरा सॉफ्टवेर अपग्रेड किए गए हैं ताकि विक्रम ज्यादा तेजी से घूम पाये ।
अगर जरूरत पडे तो और चौथा इस बारी विक्रम को फोटो ॅ नहीं होना पडेगा ।
लाॅन्ड्रिंग करने के लिए चंद्रयान टू का जो मिशिन था उसे आधा सक्सेस बताया जाता है ।
आधा सक्सेस इसलिए क्योंकि चंद्रयान टू में जो भेजा गया ऑर्बिटर था वो अभी भी काम कर रहा है ।
आॅटो हाँ के अराउंड गोल गोल घूम के और बिट कर रहा है ।
चंद्रयान टू के इस ऑर्बिटर ने जो हाइट उँगली है उन्हें इस नए विक्रम में फीड किया गया है ताकि इसकी लाॅन्ड्रिंग की जगह सही से डिसाइड करी जा सके ।
और विक्रम मॅन डर का जो डिजाइन है चंद्रयान थ्री में वो ऍम है चंद्रयान टू से लेकिन थोडी बहुत मॉडिफिकेशन करी गई है ।
जैसे कि इसके जो पैर है वो और मजबूत बनाये गए हैं और ज्यादा सोलर सेंस लगाए गए इस पर और ऍन सर जो है वो इंप्रूव किए गए ।
चंद्रयान टू की तरह चंद्रयान तरीका भी मिशिन अब्जेक्टिव वही है चाँद के साउथ पोल पाॅड करना और एक रोबर उतारना ।
अब फॅमिली साउथ है जहाँ पर कई सारे क्रिएटर्स मौजूद हैं ।
जो हमेशा शेड में रहते हैं वहाँ पर कभी कोई धूप नहीं पडती और इसलिए माना जाता है कि उन क्रिकेटर के अंदर कुछ बर्फ मौजूद हो सकती है ।
यहाँ अनशन करना जरूरी है कि जब रोवर उतारा जाएगा चंद्रयान तरी के द्वारा चाँद पर तो उसे सिर्फ एक लू ना दे का समय मिलेगा अपने साइंटिफिक ऍप्स कंडक्ट करने के लिए एक लू ना दे ।
धरती के करीब एक महीने जितना होता है मतलब दो हफ्ते का दिन और दो हफ्ते रात ।
समझ लो तो उससे हिसाब से जब मून पर लाॅन्ड्रिंग का समय आएगा , ट्वेंटी तर्ड और ट्वेंटी फोर ऑगस्ट ॅ किया जा रहा है कि ये चाँद पाॅड करेगा और तब से सिर्फ चौदह दिन का इस समय मिलेगा रोवर को सारी इन्फॉर्मेशन लेने के लिए क्योंकि चंद्रयान थ्री में मौजूद जो इंस्ट्रमेंट्स है वो लूनर नाइट्स के लिए नहीं बने ।
जब चाँद पर रात होती है तो टेम्प्रेचर बहुत बहुत नीचे गिर जाता है ।
माइनिस टू हंड्रेड थर्टी टू डिग्री ऍम प्रचार नीचे जा सकता है तो इतनी ठंड में कोई इंस्ट्रमेंट्स काम नहीं करेंगे ।
इसलिए हमारे इसरो के चीफ ने भी कहा है कि हम चाहते हैं कि इसकी लाॅन्ड्रिंग तब हो जब चाँद पर सूरज निकल रहा ।
तब से लेकर हमें फिर चौदह से पंद्रह दिन का समय मिलेगा काम करने के लिए ।
और अगर लाॅन्ड्रिंग तेईस चौबीस ऑगस्ट के राउंड नहीं हो पाए तो हम एक और महीना वेट करेंगे और ऍम बाॅन्ड करवाएंगे ।
इंस्ट्रमेंट्स की बात करी जाये तो विक्रम मॅन डर का वजन है करीब एक हजार सात सौ पचास किलो और रोवर का वजन है ।
करीब छब्बीस किलो रोवर का नाम एक बार फिर से प्रज्ञान ही रखा गया है ।
टोटल में तीन मुँह लगे है चंद्रयान थ्री में एक लॅाक रोवर , माँ जूल और एक प्रपल्शन फॅार और रोवर का मकसद तो आप जानते हैं प्रपल्शन माँ जुल्का यहाँ पर मकसद है चंद्रयान को धरती के ऑर्बिट से बाहर निकलना और चाँद की तरफ भेजना ।
इस प्रपल्शन माँ जूल की मदद से ही फॅार और रोवर पहले चाँद के ऑर्बिट में आएँगे और जब ये सौ किलोमीटर के रेडियस में आ गए तब उन्हें लाॅन्ड्रिंग के लिए उतारा जाएगा ।
इस मिशन में कोई ऑर्बिटर माँ जूल नहीं है क्योंकि चंद्रयान टू ऑर्बिटर अभी भी काम कर रहा है और उसे ही दोबारा से यूस किया जाएगा ।
लेकिन प्रपल्शन माँ जूल जो है वो भी चाँद के अराउंड तीन से छह महीने तक चक्कर गोल गोल लगाते रहेगा उनके ऑर्बिट में ही रहेगा उसका भी यहाँ पर इस्तेमाल किया जाएगा ।
कम्यूनिकेशन पर्पस इसके लिए और बाकी और रीडिंग लेने के लिए इस प्रपल्शन माँ जून में एक इंस्ट्रमेंट लगा है स्पॅाट इसका शॉर्ट फॉर्म शेप ये छोटे छोटे ऍप्स की खोज करेगा ।
स्पेस में विक्रम लॅा और प्रज्ञान रोवर पर लगे हुए इंस्ट्रमेंट्स की बात करी जाये तो वो भी बडी इंट्रेस्टिंग प्रज्ञान पर दो इंस्ट्रमेंट्स लगे हैं ।
फॅस का फुल फॉर्म है मुँह ब्रेक दे फॅस को ये चाँद की मिट्टी का कॉमिकल कम पहुंॅच करेगा कि कौन कौन से मिनिरल्स चाँद की मिट्टी में पाए जाते हैं और दूसरा फॅस का फुल फॉर्म हॅारर चाँद पर मौजूद पत्थरों के लिए यही करेगा ।
जब प्रज्ञान ये काम करेगा तो विक्रम लैंडर उसकी कुछ फोटो भी खींच रहा होगा और ये फोटो हमें जल्दी देखने को मिल सकती है ।
अगर सब कुछ सही जाता है , प्लेन के अकॉर्डिंग जाता है तो जो कि मैं उम्मीद करता हूँ सब कुछ सही जाए ।
विक्रम लैंडर पर खुद चार इंस्ट्रमेंट्स लगे हुए हैं ।
पहला है राम ।
इस का फुल फॉर्म है रेडियो ऍम मून बाउंड हाइपर सेंसिटिव आइनस फॅस ।
फिर ये लेजर बीम के जरिए चाँद पर मौजूद कुछ छोटे मोटे पत्थरों कोपिंग लाने की कोशिश करेगा और जो ॅ उससे रिलीज होगी उसे ॅ करेगा ।
दूसरा है चेस्ट फुल फॉर्म चंद्र सर्फ िस्तर मुँह कल एक्स्पेरिमेंट तार माल प्रॉपर्टी फॅार करेगा ।
कितना तापमान है ?
साउथ पोल में मून के तीसरा है इंसा इंस्ट्रमेंट फॅार करेगा कि मून पर कितने अर होते हैं , उन्हें अर्थ को नहीं कहा जाएगा ।
वैसे मून एक्स कहाँ जाएगा इससे हम चाँद के अंदर की क्रस्ट और माॅडल स्ट्रक्चर को भी समझ पाएंगे और चौथा इंस्ट्रमेंट यहाँ फॅार के जरिए धरती से सिग्नल उं करेगा ।
इसकी मदद से साइंटिस्ट ॅ डिस्टेंस पता कर पाएंगे कि विक्रम लेंडर कहाँ पाॅड किया है और चाँद की रेंज क्या है ?
क्योंकि पाँच और ऐसे ॅ पर मौजूद है तो ऍम डिस्टेंस पता लग पाएंगे हमें चाँद पर तो प्रपल्शन माँ जूल के इंस्ट्रमेंट्स को इनक्लूड करके टोटल में सात इंस्ट्रमेंट्स लगे हुए है ।
चंद्रयान त्रि में इन सात इंस्ट्रमेंट्स को सात पेलोड्स भी कह सकते हो ।
पेलोड शब्द अक्सर इनके लिए यूस किया जाता है लेकिन साइंटिफिक ऍप्स के अलावा यहाँ पर प्राइड का भी सवाल है ।
अगर ये मिशिन सक्सेसफुल रहता है तो ये इंडिया के लिए बहुत बडी जीत होगी ।
इंडिया चौथा देश बन जाएगा ।
सोवियत यूनियन , अमेरिका और चाइना के बाद चाँद पर सॉफ्ट लैंडिंग करने वाला ये चीज वैसे दो हजार उन्नीस में ही हो जानी थी ।
अगर चंद्रयान टू का वो वाला हिस्सा मिशिन का फेल ना होता तो वैसे चंद्रयान वन का जो विमॅन था उसकी मदद से इंडिया ऑलरेडी पांचवा देश बन गया था ।
चाँद के सर्फ इस को टच करने वाला सो विमॅन यूरोपियन स्पेस एजेंसी यानी यूरोप के बाद तब से लेकर अबतक चार और देश इस चीज को अचीव कर चुके हैं ।
चाइना ऍम और यूनाइटिड ऍप्स इन देशों ने क्या दो हजार नौ दो हजार उन्नीस मार्च दो हजार बाईस और दिसंबर दो हजार बाईस में रिस्पेक्ट इडली चंद्रयान तरी के बाद हमारे इंडियन स्पेस एजेंसी का अगला बडा प्लाॅट डिवेलप करना जिससे इंडियन ॅ ऑर्बिट में ले जाया जा सके ।
ओरिजिनल ये प्लाॅन किया गया था कि दो हजार बाईस में ही हो जाएगा ।
लेकिन इस मिशिन में काफी डीलेट देखने को मिले हैं ।
अब एक स्पॉट किया जा रहा है दो हजार पच्चीस में से किया जाएगा ।
मिशिन की बात करी जाये तो रशिया का जो लूनर ट्वेंटी फाइव है वो अभी कुछ दिन पहले ही लॉन्च हुआ है ।
और लेटेस्ट अपडेट ये है कि ये कॅश हो चुका है ।
मून पर तो ये वाला मिशिन फेल रहा ।
रशिया की तरफ से अमेरिका का आर्टिमिस टू ऍम बर दो हजार चौबीस में जब इंसानों को मून के पास ऑर्बिट करने के लिए भेजा जाएगा ।
वो लोग जो इसमें जायेंगे वो अभी तक का दर्द इस डिस्टेंस ट्रेवल करेंगे ।
स्पेस और आने वाले सालों में चाइना भी प्लेन कर रहा है ।
फॅसने अगर आपको विडियो पसंद आया और आपको स्पेस में दिलचस्पी है तो यहाँ क्लिक करके मेरे सारे स्पेस रिलेटेड विडीओ प्लेलिस्ट आप देख सकते हैं ।
मैंने कई विडीओ बनाए हैं ।
फॅालो तार टीन कोर्स इसका लिंक नीचे डिस्क्रिप्शन में मिल जाएगा ।
बहुत बहुत धन्यवाद