यह कहानी एक विट्ठलबख्त गोरा कुंभार की है .
अरे वाह , आज तो मां बेटे दोनों विट्ठल की आरती में आए हैं .
कुछ समय उस विट्ठल को भूलकर घर परिवार में ध्यान दे दे , तो आपकी बड़ी कृपा होगी चाहिए ना देखो इस विट्ठल ने ही तुम्हें मेरी अर्धांगिनी के रूप में चुना और यह नाना बालक भी उसी विट्ठल की ही दें है तो उसी विट्ठल का प्रसाद समझकर कभी लीजिए ना अपने हाथों में कभी अपने गोद में उठाकर खिलाए ना इसको यदि आप सहारा लड़कर उसे विट्ठल पर ही note सावरकर दोगे तो इस नन्हे विट्ठल के हिस्से में क्या आएगा मुझे कुएं से पानी लेने जाना है ध्यान रखिएगा आज अपने vitk के लिए मटका बनाऊंगा और प्रतिदिन उस मटके में पानी भर के अपने वीठ को स्नान कराऊंगा .
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तुझ जैसे भक्त पर हमें गर्व है .
तुम भी धन्य हो मानते जो अपने पुत्र के लिए भगवान तक से लड़ने को तैयार हो गई .
जैसे शांति के लिए उसका पुत्र है , वैसे ही मेरे लिए है और कोई अपने पुत्र को दुखी नहीं देख सकता .