साल दो हजार सत्रह इस दुनिया के सबसे डरावने सालों में से एक क्योंकि इस साल जुलाई अगस्त के समय फेसबुक के एक एक स्प्रिंट ने पूरी दुनिया में तहलका मचा दिया ।
जी हाँ मैं उसी फेसबुक की बात कर रहा हूँ जिसका आप रोज इस्तेमाल करते हुआ ये था कि फेसबुक के इंजिनियर एक बहुत ही फॅसने में लगे ॅ होते है ना आपने शायद यूज भी क्या होगा जिसको आप महसूस करते हो और वहाँ से ऑॅल टिकली रीप्लाई आता है ।
आप असल में मशीन से बात करते हो जो कि हेलो हाइ करके बिल्कुल एक इंसान की तरह बात करता है तो फेसबुक ऐसे ॅ बनाने में लगे थे जो कि फॅालो ही नहीं बल्कि हंस के रोके नाराज होके गुस्सा करके इंसानी आवाज में लोगों से बात करें ।
इसी एक्स्पेरिमेंट के दौरान फेसबुक के बहुत ही इंटेलिजेंट डिवलपर के मन में एक आइडिया आया कि चलो दो बोट्स यानी दो प्रोग्राम को इंसानों से नहीं बल्कि आपस में बात करते हैं ।
उन्होंने बोर्ड्स का नाम रखा फॅस और एक बहुत आश्चर्यजनक तरीके से दोनों वो आपस में बात करने लगे ।
उन्होंने आपस में बात क्या क्या उसकी काँपी ये रहे फॅसने बोला बॉल मुँह टोमी टोमी डाॅ ।
बॉल टोमी टोमी डॉॅ ।
को कुछ समझ नहीं आ रहा था ।
ये दोनों आपस में क्या बात कर रहे हैं बाद में और इंस्पेक्शन के बाद ये पता चला ।
ये तो अपने आप में ही एक अलग लैंग्वेज डिवलप कर चुके हैं और अपनी भाषा में इंसानों से बचकर ये आपस में बात कर रहे हैं ।
और इस प्रोग्राम में एक अजीब सी इन टॅाक यानी नए भाषा को बनाना कोई आम बात नहीं ।
ये ज्यादा इंटेलिजेंट जो ही कर सकते हैं जैसे इंसान कंप्यूटर ने आपस में एक नया लॅा डिवलप ।
क्या ये प्रोग्राम की दुनिया में इंप् आँ सबल पर ये हुआ ये सच में हुआ ।
अगर आप चिम्पैंजी को भाषा बनाने बोल दो तो वो नहीं कर पाए पर ये कंप्यूटर प्रोग्राम होते हुए भी सीक्रिट ली ।
बिना ह्यूमन को जानकारी दिए अपने आप में ही आर्टिफिशल नूरल नेटवर्क की पल्सर की मदद से एक नया भाषा बना ली ।
इस घटना के कुछ दिनों बाद ही इंटरनॅशनल नौं ने ये रिपोर्ट किया कि फेसबुक ने इस आर्टिफिशल इंटेलिजेंस प्रोग्राम को मजबूरी में बंद कर दिया और बहुत मुश्किलों के बाद वो उस कंप्यूटर को बंद कर पाए ।
ना जाने क्या होता अगर वो उस प्रोग्राम को उस दिन बंद नहीं कर पाते ।
उस प्रोग्राम को इसलिए बंद कर दिया गया क्योंकि इंजिनियर को ये लगा कि ये कंप्यूटर को कुछ ज्यादा ही कोर्ट कोर्ट स्मार्ट बन गए और वो कंट्रोल के बाहर जा रहे हैं ।
कुछ भी हो , ऑर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की दुनिया की ये सबसे डरावनी घटनाओं में से एक क्या होगा ?
अगर कंप्यूटर इंसान जैसे खुद सॅाफ्टवेयर हो जाए और बातों को समझने लगे ।
और क्या होगा ?
अगर आर्टिफिशल इंटेलिजेंस इंसानों के समान इंटेलिजेंट नहीं , बल्कि उससे ज्यादा स्मार्ट बन गए , तो क्या वो इस दुनिया पर राज कर सकेंगे ?
आर्टिफिशल इंटेलिजेंस मतलब एक ऐसा कंप्यूटर प्रोग्राम जो खुद सोच हो सकता है और खुद ऐसे ऐसे काम कर सकता है जो इंसान भी नहीं कर पाते ।
और ये सब चीजें कोई बहुत दूर की फ्यूचर की बात नहीं है ।
ये सब आ चुका है ।
आज के समय में भी ये हो रहा है ।
ज्यादातर लोगों को पता ही नहीं है और उस गति का अंदाजा भी नहीं है जिस गति से ये आर्टिफिशल इंटेलिजेंस हमारी दुनिया में डिवेलप हो रही है ।
शायद आपको पता ना हो और आप इस आर्टिफिशल इंटेलिजेंस को हर समय इस्तेमाल करते ।
हर समय ॅ , गूगल असिस्टेंट ये सब और कुछ नहीं ।
ये आर्टिफिशल इंटेलिजेंस आपको पता भी नहीं चलता कि ये आपकी जिंदगी को किस तरह कंट्रोल कर रहा ।
आप जब फेसबुक पर किसी पेज को लाइक करते हो , मान लो आपने कहाँ मिडी पेज को लाइक किया ।
तब आप ये नोटिस करते होंगे कि उसी तरह के सिमिलर हाँ , मिडी पेज को फेसबुक आपको राॅड करता है और जिस तरह के विडीओ आप यूटूब पर देखते हो , उसी तरह के विडीओ उं यूटूब आपको और दिखाता है ।
आप ऑनलाइन कुछ खरीदते हो ।
मान लो आपने कोई ॅ तो उसी तरह के हजारों कॅर और उससे रिलेटिड प्रोडक्ट्स को तो आपको वो वेब साइट दिखाता है ।
आप क्या खरीदते हो ?
इसे उस वेब साइट कि आर्टिफिशल इंटेलिजेंस ऍफ करती है और वो आपके सामने ऐसी प्रोडक्ट्स ला देती है ।
इसे आप कभी खरीदने का सोचे होंगे ।
इस चीज को मशीन लर्निंग कहते हैं ।
हालांकि ऐसी टाइप की कंप्यूटर दिमाग हमारे बहुत कम आती है पर यहाँ हम उस की बात नहीं कर रहे हैं ।
हम ज्यादा खतरनाक वाले आर्टिफिशल इंटेलिजेंस की बात कर रहे हैं ।
एक लॉ है ।
इसे मोर स्लॉ कहते हैं ।
ये लॉ ये कहता है कि हर एक से दो साल में दुनिया में जितने भी ट्रॅवेल लगे होते हैं , कंप्यूटर पैट्स में वो डबल हो जाएगी ।
जब से पहला कंप्यूटर बना तब से लेकर आज तक ये लॉस अच्छी हुई है ।
वैसी तबाही मचाने वाली आर्टिफिशल इंटेलिजेंस अभी तक तो हमारे बीच में नहीं है ।
पर जितने विचारक है उनका ये मानना है कि ये कभी भी अगले पचास सालों के अंदर हमारे दुनिया में आ सकती है ।
कई विचारक तो ये भी कहते हैं कि महज अगले दस से बीस साल के अंदर भी आ सकते है ।
हम उस खतरनाक इंटेलिजेंस के बारे में बात कर रहे हैं जो सबसे इंटेलिजेंट लोग हैं ।
दुनिया के जो की टेक्नोलॉजी को शेप करते हैं और जो हमारी आने वाली दुनिया का अध्ययन करते हैं उनमें से कई रीसर्चर्स ने ये कहा है ।
आइ यानी आर्टिफिशल इंटेलिजेंस हमारी दुनिया की सबसे भयंकर चीज होगी जो आज तक बनी है और ये हमारे पूरे सिविलाइजेशन की आज तक का सबसे बडा खतरा होगा ।
सर स्टीफन हॉकिंग ने एक बार नहीं बल्कि कई बार अपने जीवनकाल में ये कहा था कि आई कुड ऍम जो लोग आर्टिफिशल इंटेलिजेंस को पूरी तरह से समझाते हैं , उन्होंने ऐसी कई स्टेट मिंट को कहा है जैसे आर्टिफिशल इंटेलिजेंस हमारी दुनिया की सबसे आखरी ऍम आर्टिफिशल इंटेलिजेंस हमारे दुनिया का अंत होगा ।
अगर हमने कंप्यूटर ही दिमाग का कंट्रोल खो दिया तब इस दुनिया में एक लडाई होगी ।
एक लडाई जोकि कंप्यूटर और इंसानों के बीच में होगी एक लडाई इसे इंसान कभी भी नहीं जीत पाएँगे और क्यों नहीं जीत पाएंगे ?
क्योंकि अगर कंप्यूटर आपस में अपना खुद का भाषा बना सकते हैं और खुद बात कर सकते हैं और खुद को डिवलप कर इन सब चीजों को मिलाकर अगर एक बहुत इंटेलिजेंट बना तब वो एक इंसानी दिमाग से कहीं ज्यादा इंटेलिजेंट हो ।
पूरी धरती पर इंसानों से ज्यादा इंटेलिजेंट दिमाग और किसी चीज या प्राणी का नहीं होता ।
पर अगर कंप्यूटर ऐसा करने में सक्षम होते है तो ये एक बहुत ही खतरनाक बात ।
हम लोग चाहे कोई सा भी तरीका अपना ले , कितनी भी कोशिश करें इन रोबोट्स को हराने का हम ये कभी भी नहीं कर पाएंगे क्योंकि उनकी माइंड की प अगर अनलिमिटिड टाइम ज्यादा होगा ।
ये ऐसा ही होगा जैसे छुट्टी इंसान से लड रही है ।
यहाँ पर छुट्टी हम लोग इंसान है और ये इंसान वो रोबोट्स है ।
अगर कंपेयर करें तो आपको ये ऍम तो पता ही होगा कि जितने जो और प्राणी इस दुनिया में रहते हैं उन सब में से सबसे सपीरि अगर हम इंसान ही है इंटेलिजेंस के मामले में भी और बाकी चीजों के मामले में और इसलिए इंसान सालों से धरती पर राज करते आ रहे हैं ।
पर आज आपको एक फॅमिली इंसान और आपको अगर हम लोग कंपेयर करें तो आपको ये जान हैरानी होगी कि एप्स असल में इंसान के बहुत करीब अगर बुद्धि के मामले में बात करें तो अगर ऍप्स फिफ्टी फाइव तो इंसान की सिक्स टी मतलब दोनों में थोडा सा ही फर्क है पर वो छोटा सा ऍफ ही बहुत कुछ बदल देता है ।
हम लोग इतने सुपीरियर बन चुके हैं कि हम लोग इतनी ऊंची ऊंची इमारतें खडा कर सकते हैं , कोई सा भी औजार बना सकते हैं , आपस में बात कर सकते हैं और दूसरी तरफ बंदर और ऍम होते हुए भी ये सब नहीं कर सकते हैं ।
अगर हम लोग इस धरती पर रहने वाल सारे जीवित प्राणियों की बुद्धि को मापे तो सबसे कम वन पॉइंट मिलेगा ।
चूहा को डॉल्फिन को मिलेगा ।
चार ।
ॅ को मिलेगा सात और इंसान जिनकी बुद्धि चिम्पांजी के थोडे ही करीब है उन्हें मिलेगा नौ और शायद ये सुन के आपके कानों से धुआं निकलने लगे ।
पर इस पॉइंट की लिस्ट में अगर कोई आर्टिफिशल इंटेलिजेंस डिवेलप हो गया तो उसको वो पिंग उं पॉइंट्स आराम से मिल जाए और ये पॉइंट उससे भी ज्यादा हो सकता है ।
इंसान ही दिमाग इतना शक्तिशाली होते हुए इसे सिर्फ नौ पॉइंट्स मिला ।
ये इसलिए क्योंकि दिमाग का साइड लिमिटिड और ये इस हड्डी स्कल के अंदर मौजूद ।
इसलिए जो दिमाग के अंदर के नौं होते हैं वो लिमिटिड मात्रा में ही आ सकते हैं ।
लिमिटिड स्पेस के चलते हैं पर एक आर्टिफिशल इंटेलिजेंस के पास ऐसी कोई लिमिट नहीं होगी क्योंकि कंप्यूटर अपने आपको कितना भी एक्सॅन कर सकता है ।
दिमाग तो न्यूरॉन से चलता है और कंप्यूटर के अंदर अनलिमिटिड और आ सकती है ।
आज से हजार साल बाद जब ॅ उसकी क्षमता हजारों गुना बढ जाएगी , अब वो बहुत ज्यादा कंप्यूटिंग फॅस कर पाएंगे ।
बहुत ज्यादा मतलब बहुत ज्यादा वर्चुअली , अनलिमिटिड मतलब टेक्नोलॉजी ज्यादा बढना भी हम लोग के लिए खतरा साबित होगा ।
कंप्यूटर ही दिमाग जितना चाहे उतना प और अपने अंदर ले सकेगा ।
और आपको ये पता ही होगा कि कंप्यूटर के अंदर की कम्यूनिकेश इन लाइट की स्पीड से होती है जो कि है लगभग तीन लाख किलोमीटर पाॅड पर जो इंसान ही दिमाग है उसके न्यूरॉन की कम्यून स्पीड फोर हंड्रेड किलोमीटर पर और है जो कि कंप्यूटर के कम्यूनिकेश इनकी स्पीड के सामने कुछ भी नहीं इस स्पीड से अगर वो आपस में बात कर पाएंगे वो आराम से जो चाहे वो कर सके और जो चाहे वो बना लेंगे ।
फ्यूचर की बात तो कर ली हमने पर अगर अभी की बात करें तो अभी तक ऐसा कोई भी कंप्यूटर इंसानी दिमाग से ज्यादा इंटेलिजेंट नहीं बनाया ।
पर ध्यान से सुनो अगर कंप्यूटर ही दिमाग इंसानी दिमाग से एक परसेंट भी ज्यादा इंटेलिजेंट बन जाए तब उस ॅ को कहेंगे ऍम यहीं से उस कहानी की शुरुआत होगी जो कि इंसान के एंड का शुरुआत होगा ।
अभी तक के जो है वो सब एक बाउंड्री के अंदर काम करते हैं जैसे कुछ नई चीजों को सर्च करके फाइंड करना ।
आपकी बात मानना आपको क्या नेक्स्ट खरीदना चाहिए उसे राॅड करना ।
पर ये धीरे धीरे बहुत तेज मुँह से विकसित हो रही विकसित मुँह हम लोग खुद इन्हें डिवलप कर रहा है ।
टेक्नोलॉजी के नाम पे आप के मन में ये बात तो जरूर आ रहा होगा कि उस टाइप के खतरनाक आइ कब तक हमारे दुनिया में आ सकते हैं ।
विचारकों का ये कहना है ये करीब दो हजार चालीस तक हो जाएगा या कुछ विचारक तो यहाँ तक ये भी कहते हैं ये दो हजार तीस तक भी आ सकता है ।
आप के मन में ये बात भी आ रही होगी इतनी जल्दी ये कैसे डिवेलप हो जाएगी तो आप इस चाट को देखो ।
दुनिया ऐसी नहीं है कि थोडा सा ग्राॅस था और वो धीरे धीरे उठ रहा है नहीं एकदम भयानक पर्व बना और ज्यादातर ऍप्स मिंट अभी के कुछ सालों में ही हुई है ।
पूरी धरती के इतिहास में हमने जितनी तरक्की की है उससे ज्यादा तर हमने अभी केरी सिंट पचास सालों में ही किया है ।
ज्यादातर साइंटिफिक कम्यूनिटी ये मानती है कि जो सिंगल रिटी है जो की है कंप्यूटर के इंसानों से ऊपर उठना ।
ये जरूर होगा ही होगा ।
फॅमिली क्या होगा जब कंप्यूटर इंसान से ज्यादा इंटेलिजेंट होंगे ।
इस्काॅन सर यह है कि इंसानियत को इसका आंसर नहीं पता , पर मुँह से ज्यादा इंट्रेस्टिंग ये बहुत ही ज्यादा इंट्रेस्टिंग कंप्यूटर भी दिमाग यानी आर्टिफिशल इंटेलिजेंस जब इंसानी दिमाग से ज्यादा हो जाएगा तब दो चीजें हो सकती है ।
केस वन या तो इंसान इस धरती से लुप्त हो जाएगा ।
कंप्यूटर की मनमानी के चलते या फिर केस टू केस तो ये है कि इंसान हमेशा के लिए अमर हो जाएगा ।
इंटेलिजेंस जब बढेगी तब असल में वो इंटेलिजेंस अच्छे काम के लिए इस्तेमाल होगा या बुरे काम के लिए , यही तो हम नहीं जानते हैं अगर वो अपने अंदर इमोशन डिवलप करले , कंप्यूटर भावना डिवलप करले तब केस टू होगा और वो हमारी ऍफ करेंगे ।
जिस तरह इंसान में दो तरह के लोग होते कुछ अच्छे होते हैं और कुछ बुरे होते हैं और इसका ये मानना है कि रोबोट्स में भी शायद इसी तरह के अच्छे और बुरे ॅ गोरी वाले रोबोट्स होंगे ।
आजकल के इंसानों की बात करें तो अच्छे इंसान दुनिया में ज्यादा इसलिए ये दुनिया टिकी हुई है ।
अब रोबोट्स में क्या होगा ये तो आने पे ही पता चलेगा जब वो इमर्ज होंगे ।
किसी भी चीज का अविष्कार असल में बुद्धि यानी इंटेलिजेंस के जरिए ही होता है ।
अगर आज कल के वैज्ञानिकों को ये बोला जाए कि आप लोग अमर होने की एक लिक्विड निकाल क्योंकि ने टीचर के नियमों के खिलाफ है तब वो इस चीज को असल में नहीं कर पाएँगे क्योंकि बुद्धि एक नॉर्मल इंसान में लिमिटिड होती है और अमर करने की दवाई शायद आर्टिफिशल इंटेलिजेंस के लिए मुमकिन हो ।
अगर केस हुआ यानी अगर रोबोट का नेचर इंसानों का मदद वाला रहा , इंसानों का हेल्प वाला रहा तब वो शायद हमें लंबी उम्र जीने में मदद कर सकेंगे ।
और अगर केस वन हुआ तब वो चेटी के समान इंसानों को दुनिया से कर देंगे ।
खुद की आबादी बढाना चाह ये सब बात हम लोग आज इसलिए कर रहे हैं क्योंकि फेसबुक की वो दो हजार सत्रह वाले एक्स्पेरिमेंट में जो हुआ वो बिलकुल नामुमकिन था ।
और इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ था ।
दो कंप्यूटर का आपस में बात करना इट्स अमेजिंग आपके मन में शायद ये बात आ रही होगी की उन्होंने बाँ और ऍम दोनों चाॅस को बात करने के लिए छोडा क्यों नहीं और एक्स्पेरिमेंट करने के लिए उन्होंने इसलिए उन्हें बंद कर दिया क्योंकि इस चॅू एक बार ध्यान से देखो ॅ ऍम शायद इसका मतलब ये हुआ कि आॅल यानी मैं कुछ भी कर सकता हूँ ।
आॅफिस का शायद मतलब ये हुआ की हम लोग दोनों मिलकर कुछ भी कर सकते ।
हो सकता है इसका मतलब ये ना हो पर इस तरह की कन्वर्सेशन से हमें थोडा सा हिंट मिल जाता है कि ये आपस में क्या बात कर रहे ऑफकोर्स ॅ इंग्लिश नहीं पर फॅमिली में इंग्लिश लेटर होती है और इस शॅल यू आई ऐसे इंग्लिश वर्ड का प्रयोग किया गया था ।
इसलिए इस चॅू और इन आर्टिफिशल इंटेलिजेंस में एक लिविंग बीइंग की तरह कुछ तो हुआ था और इसके लिए फॅस होना चाहिए कि उन्होंने इस प्रोग्राम को बंद कर दिया ।
नहीं तो शायद ऐसा भी हो सकता था की वो अपने आप को और विकसित करने की की वो अपने आप को और डिवलप करने कि नए नए तरीके आपको ये विडियो कैसा लगा ।
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