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https://youtu.be/Is2B5NMwyDY?si=cKLlYSgd2pP179BW

2023-08-24 01:23:43

Chandrayaan 3’s Lander Successfully Landed On Moon अब आगे क्या होगा

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फाइनल ई वो दिन आ गया जब तेईस अगस्त को चंद्रयान तरीके , विक्रम मॅन डरने मून के साउथ पोल पर साॅन्ग के बाद भारत और भारतवासियों का सर गर्व से ऊंचा कर दिया ।

यहाँ आप अपनी स्क्रीन पे देख सकते हैं फॅर अब हम भी कह सकते हैं कि हमारा देश भारत चंद्रमा तक पहुँच गया है और पहुँचा ही नहीं है बल्कि मून के उस हिस्से पर उतरे हैं जिस पर आज तक अमेरिका भी नहीं उतर पाया था ।

पर तेईस अगस्त शाम के छह बजकर चार मिनट पर इसरो ने विक्रम मॅन डर के जरिए मून के साउथ पोल पर एक्सॅन डिंग करते हुए इतिहास रच दिया ।

ऍम मोस्ट इंपॉर्टेंट बात ये है कि इस बार लॅा पर जाते हुए विक्रम मॅन डर थोडा सा भी डेविएट नहीं हुआ ।

और अब हम भी कह सकते हैं कि हमने भी स्पेस में कुछ ऐसा किया है जिसमें हम दूसरे या तीसरे पर नहीं बल्कि पहले नंबर पर आते हैं ।

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और क्या आपने कभी सोचा है कि अर्थ से तीन लाख चौरासी हजार चार सौ किलोमीटर दूर मूल सर्फ इस पर मौजूद विक्रम , लैंडर और प्रज्ञान रोवर आपने एक्स्पेरिमेंट और इक्विपमेंट से रिलेटिव ऍम इसरो तक कैसे पहुंचाएंगे या फिर इस रोग इतनी दूर से भी प्रज्ञान रोवर को कैसे कंट्रोल करेगी ऍम और चलिए जानते हैं आज के इस एपिसोड बट ये बात काफी हैरान कर देती है कि मून के साउथ पोल पाॅड कर चूका विक्रम लॅा डर तीन लाख चौरासी हजार किलोमीटर दूर से भी इसरो के आॅफ बनाये हुए हैं और लगातार ऍम मिंट के इन्फर्मेशन भेज रहा है ।

फॅमिली फ्रम ऑटो मुँह फिर तो चौदह जुलाई को फॅर रॉकिट से चंद्रयान थ्री को सक्सेसफुली लॉन्च किया गया जहाँ लॉन्च के केवल बीस मिनट बाद ही इसरो के इस ताकतवर रॉकिट ने इसे अर्थ के प्राइस आ इस वन ॅ थर्टी सिक्स थाउजेंड फाइव हंड्रेड किलो मीटर ऍफ टिकल ऑर्बिट में डिप्लॉय कर दिया ।

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जिसके बाद सबसे पहले चंद्रयान थ्री ने धीरे धीरे अपने ऑर्बिट को और बढा किया और फाइनल ई एक अगस्त को ये लूनर ऑर्बिटर इन्सर्शन परफॉर्म करते हुए अर्थ के ऑर्बिट से बाहर निकल कर अपनी डेस्टिनेशन मून की और बढ गया जहाँ पांच अगस्त को ये मून के वन सेवेंटी थ्री बाई फोर्टी वन टाॅल ऑर्बिट में पहुँचा और फिर इसने दोबारा अपने फॅमिली को छोटा किया और जब इसका ऑर्बिट वन फिफ्टी थ्री बाई वन सिक्सटी थ्री तक पहुँच गया तब सत्रह अगस्त को चंद्रयान तरीके पॅाल से विक्रम लॅा हुआ जिसकी से परेशन विडीओ इसरो ने अपने ऑफिशल ट्विटर अकाउंट पर अपलोड भी की थी ।

जिसमें हम विक्रम लॅा द्वारा मून के सर्फ इसके करीब की खींची गई तस्वीरों को देख सकते हैं ।

जिसमें हमें उनकी सर्फ इस पर मौजूद कई फेमस क्रिकेटर देखने को मिल जाते हैं ।

वैसे कितनी गर्व की बात है ना साइकिल से शुरू हुआ इसरो का सफर चांद और मंगल तक पहुँच चुका है ।

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अगर आप इसरो के इस राइस की कहानी डिटेल में जानना चाहते हो तो मैं आपको ऍम ऑडियो शो राइट सुंदर सुनाई ये नाइंटी सॅान्ग इनिंग से लेकर हाँ डर प्रॉफिट कहे जाने वाले , विक्रम साराभाई की स्टोरी , ॅ इंडिया की ब्राइड पि ऍफ जैसे सभी इंपॉर्टेंट टॉपिक्स को ओनली ग्यारह एपिसोड्स में कवर करती है ।

यही नहीं पर आपको इंडियन आॅटो , मंगलयान , क्लॉस िफाइड , ॅ स्टोरी लाँच , हाइड्रोन कोलाइडर जैसे डिफाॅल्ट ऑडियोबुक्स भी मिल जाएगी ।

हम भारत का सबसे बडा ऍम है जिसपर टू पॉइंट फाइव मिली ।

इन से ज्यादा ॅ सब्स्क्राइबर है और हर महीने इस पर बयालीस सौ घंटों का नया कंटेंट अपलोड हो रहा है ।

काफी समय से मैं भी पर्सनल ऍम को इस्तेमाल कर रहा हूँ ।

फॅमिली फॅमिली इसका उं अमेजिंग है ।

जैसे मेरी लाइफ में कई पॉजिटिव चेंजिंग आए है ।

टू पॉइंट फाइव मिली से ज्यादा पेड सब्स्क्राइबर ऍम के बयालीस सौ प्लस और के कंटेंट को यूस कर रहे हैं और साल दो हजार तेईस में अभी तक पैंतालीस लाख का कंटेंट प्ले हो चुका है ।

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मतलब वन पॉइंट फाइव लगाउँगा कंटेंट डेली और अब मेरी फर्स्ट टाइम ऍम मेरे अंतरिक्ष सब्स्क्राइबर को फर्स्ट मांॅ फिफ्टी परसेंट ऑफ दे रहा है ।

यानी निन्यानवे रुपए का सब्स्क्रिप्शन केवल फोर्टी नाइन रुपए में मिल जाएगा तो जल्दी से डाउनलोड कॅालिंग डिस्क्रिप्शन बॉक्स में है न कमिंग ऍम पिक और फिर इसने अपनी जर्नी मून के साउथ पोल की और स्टार्ट तेईस अगस्त को छह बजकर चार मिनट पर विक्रम मॅन डरने मून के साउथ पोल पर सक्सेसफुली लाॅन्ड्रिंग कर दी और इस तरह रोने मून के साउथ पोल पर साॅन्ग करने के बाद इतिहास रच दिया ।

चलिए अब आते हैं अपने दूसरे सवाल पर हाॅकी कम्यूनिकेट वित ।

इस तो देखो चंद्रयान त्रि और इसरो के डीप स्पेस नेटवर्क के बीच कम्यूनिकेश इन दो फेज में पूरा होता है नंबर वन कम्यूनिकेश इंडो रिंग जर्नी जोकि अर्थ से चार तक के बीच का रास्ता होता है नंबर टू कम्युनिकेशन ऍर ईचिंग डिस्टिनेशन ।

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यानी अर्थ से चंद्रमा की सतह पर उतरने के बाद इसरो और विक्रम लैंडर के बीच होने वाला कम्यूनिकेश इन और डाॅॅ तो देखो चंद्रयान तरीके फर्स्ट पेज की शुरुआत चौदह जुलाई को इसके लॉन्च के बाद से ही हो गई थी जब चंद्रयान तरी ने अपने ॅ के साथ हाँ आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्पेस सेंटर से उडान भरी थी ।

अब उस समय भी ये लगातार इसरो के डीप स्पेस नेटवर्क यानी कि आॅर्ट में था जिसमें टोटल तीन सिस्टम आपस में कम्युनिकेशन बनाए हुए थे ।

जिसमें इसरो का आइडी एशिन नेट्वर्क अर्थ के जियोस्टेशनरी ऑर्बिट में मौजूद इन साठ यानि कि इंडियन आॅनलाइट सिस्टम के कांटेक्ट में था और फिर ये ऍम लाइट सीधा चंद्रयान त्री से कम्युनिकेशन बनाए हुए थे ।

पर ये कम्युनिकेशन तभी तक रहा जब तक चंद्रयान त्रि उडान के बाद अर्थ के इलेक्ट्रिकल ऑर्बिट तक पहुँच नहीं ।

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क्योंकि अर्थ ऑर्बिट में पहुँचने के बाद चंद्रयान तरीके , प्रोपल्सन , माँग जुलने सीधा ॅ वर्क से कम्यूनिकेट करना शुरू कर दिया और फिर सत्रह अगस्त को विक्रम लेंडर के मून के वन फिफ्टी थ्री किलोमीटर बाई वन सिक्सटी थ्री किलोमीटर के प्रोपल्सन मॉडल्स एॅफ परेश ।

इनके बाद से ही विक्रम खुद भी ऍम कम्यूनिकेट कर रहा था ।

अब जानते हैं इंडियन डीप स्पेस नेटवर्क के बारे में ।

हाँ बिल्कुल ।

आप ने सही सुना ।

इसरो के खुद के पास भी अपना डीप स्पेस नेटवर्क है , जो बिल्कुल उसी तरह डीप स्पेस नेटवर्क है , जैसा नॅान आपने डीप स्पेस मिशिन जैसे वॉयजर स्पेसक्रॉफ्ट से कम्यूनिकेट करने या फिर मल्टी प्लाॅन लाइक माँस पर रोवर ॅ करने के लिए प्रयोग करती है ।

अब देखो इंडिया के डीप स्पेस नेटवर्क की बात की जाए तो इसे शॉर्ट में के नाम से जाना जाता है ।

आपको जानकर हैरानी होगी कि इंडियन डीप स्पेस नेटवर्क दुनिया की सबसे ॅ डीप स्पेस नेटवर्क में से एक है , जो भारत के कर्नाटक राज्य के एक छोटे से गाँव व्याल आलू में मौजूद है ।

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इसे यहाँ स्पेशली चंद्रयान वन के लिए ॅ द्वारा सत्रह अक्टूबर दो हजार आठ फॅमिली किया गया था ।

दोस्तों इंडियन डीप स्पेस नेटवर्क में टोटल तीन बडे डिस्क टाइप एंटीना है जिनमें सबसे बडा करीब पाँच मंजिला चौडा यानी कि बत्तीस मीटर का है ।

जबकि इससे छोटा आॅन अठारह मीटर का है और सबसे छोटा आॅन अभी करीब दो मंजिला चौडा यानि कि ग्यारह मीटर वाइड है और भारत के इस डीप स्पेस नेटवर्क की सबसे खास बात ये है ना कि ये स्पाॅट करने के लिए या डेट को रिसीव करने के लिए दुनिया भर में मौजूद दूसरे देशों डीप स्पेस नेटवर्क से भी कम्यूनिकेट कर पाता है ।

जैसे कि हम जानते हैं कि अरे आपने ऍम इसपर रोटेट करती है ।

ऐसे में अगर ऍम की पहुँच किसी ऐसी तरफ हो जहाँ से इसे चंद्रयान त्री से कम्यूनिकेट करने में समस्या आ रही हो तो ऐसे में आॅवर सीधा दूसरे देशों के डीप स्पेस नेटवर्क से कम्यूनिकेट करता है जिनकी जानकारी इसमें ऑलरेडी फिर होती है ।

अब ये ज्यादातर वो कंट्री होती है ना जिनके साथ रोके ।

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ऑलरेडी डीप स्पेस नेटवर्क से रिलेटेड अग्री मिंट हुए हैं जैसे फॅस मुँह है या फिर ऍम ।

अब देखो ऐसे में अगर हमारा स्पेसक्रॉफ्ट इनमें से किसी भी डीप स्पेस नेटवर्क की रेंज में रहता है तो उनकी मदद से भी ॅ स्पेसक्रॉफ्ट से कम्यूनिकेट कर सकते हैं ।

जो सच में काफी माइंड ब्लोइंग चीज है ।

वैसे की आपको इसके बारे में पहले पता था ।

आप अपना जवाब नीचे फॅस में जरूर लिखना सो विक्रम , लैंडर और अर्थ पाॅवर के बीच इस नेटवर्क कॅश करने का काम कर रहे हैं ।

विक्रम पर लगे टोटल चौदह ऍम जो अर्थ से तो तीन लाख चौरासी हजार चार सौ किलोमीटर दूर मौजूद चंद्रयान फॅार माँ जूल विक्रम के हर एक डाॅन में लगे हुए हैं जहाँ पर टोटल चौदह मुँह है ।

इन्हीं की मदद से विक्रम इसरो से कम्यूनिकेट कर पा रहा है ।

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और ये चौदह ऍम वो शक्ति है जो विक्रम ऍसे अर्थ पर मौजूद हर देश के डीप स्पेस नेटवर्क जैसे अमेरिका , यूरोप और रशिया के साथ कम्यूनिकेशन करने और डाॅन सफर करने की कैपबिलिटी देता है ।

विक्रम लैंडर पर लगे ये अलग अलग ऍम वो है जो लगा फॅार रोवर के बॅाल और ट्रस्ट के रील टाइम ॅ को इसरो तक भेजता रहता है जिससे इसरो लगातार स्पेसक्रॉफ्ट की कंडीशन और ऑर्डिनेट्स पर नजर बनाए रख पाती है ।

अब देखो स्पेस में भेजे जाने वाले स्पेस कॅश करने के लिए ज्यादातर टी ।

टी ।

सी ऍफ का प्रयोग किया जाता है और देखो चंद्रयान थ्री में भी ऍफ का प्रयोग किया गया है जिसमें टी ।

टी ।

सी का मतलब होता है टॅाक जहाँ ऍसे होता है जो स्पेस कॅाल का सारा डॅा स्पेस एजेंसी के डीप स्पेस नेटवर्क तक भेजता है ।

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अब ॅ जैसा के नाम से ही पता चल रहा है कि ये ऍम को स्पेस एजेंसी के साथ रील टाइम पे शेर करता रहता है जैसे ॅ सिटी और करंट लोकेशन क्या है ?

और अगर आपने भी साल दो हजार उन्नीस में चंद्रयान ऍम वाला वो लाइव ऍफ देखा है ना तो वो गॅाड किए गए रील टाइम ॅ पर ही बेस्ट इसीलिए मॅन डर के मूल सर्फ ।

इसपर कॅश होने के बाद उसके ॅ डिस्ट्रॉय हो जाने पर ॅ मिलना बंद हो गया और हमारा कम्यूनिकेश इन लॉस हो गया था ।

अब देखो इसके बाद आता है काम ऍम और ये वर्ड ही सिंपल है की ये ऍम एक रीमोट कंट्रोल की तरह है जो स्पेस एजेंसी द्वारा भेजी गई कोई भी कमान्ड को स्पेसक्रॉफ्ट में रिसीव करने और अप्लाई करने का काम करते हैं फॅार कभी इसरो खुद चंद्रयान तरीके , डाॅन या स्पीड को चेंज करना चाह रहे हैं तो उससे पहले ये काम ऍम अपने कंप्यूटर को देनी होगी जो काॅन् को पहले आॅड करेंगे और आॅर्ट के टी ।

टी ।

सी ।

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ॅ तक भेजेगा और फिर जिसे टीटीसी ॅ रिसीव करके स्पेस कॅश इन और स्पीड ॅ के मुताबिक चेंज कर देगा ।

अब दोस्तों टी टी ।

सी ।

ॅ की एक सबसे खास बात ये है कि ये काफी छोटे डाॅन सफर के लिए प्रयोग में लाए जाते हैं यानि इनसे आप लाॅट और रिसीव नहीं कर सकते लेकिन इसके बावजूद इन्हें स्पेसक्रॉफ्ट में इसीलिए प्रयोग में लाया जाता है ।

लेकिन की मदद से हम लॉन्ग डिस्टेंस , फॅमिली , डिस्टेंस तक भी डाॅट और रिसीव कर सकते हैं ।

जैसे कि हम चंद्रयान थ्री में कर रहे हैं या फिर नाॅट में कर रही है जो पृथ्वी से इस वक्त बिलियन किलोमीटर दूर मौजूद है ।

टी ।

टी ।

सी ऍम , चंद्रयान त्रि विक्रम लॅा दोस्तों अगर आप ध्यान से देखोगे ना तो आपको ये पता चलेगा कि चंद्रयान थ्री में प्रयोग किए गए टी ।

टी सी ऍफ का अपीरियंस काफी छोटा है जो काफी स्मॉल और सिलेंड्रिकल शेप में मेजर ली दो के पेट में विक आॅडर के अलग अलग ऍम में लगे हुए हैं ।

जिसमें विक्रम लैंडर के फ्रंट आॅक्साइड पर दो टॅाक लगे हुए हैं ।

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अब ये पेट में इसलिए है क्योंकि इन दोनों में से एक टी ऍफ करता है जबकि दूसरा लाॅन डर द्वारा कलॅर से रिलेटेड कोई भी दूसरी डिटेल ॅ वर्क तक भेजने का काम करता है ।

वैसे अगर आपने कभी विक्रम मॅाडल को ध्यान से देखा होगा तो आपको विक्रम लेंडर के बिल्कुल ऊपर टाँक में तीन टी टी सी ॅ लगे हुए दिखाई देंगे ।

जिसको देखकर मन में ये सवाल जरूर आता है कि जब सभी साइड में लगे टीटीसी ॅ दो दो के पेट में है तो उसके साँप पर ये ऍम तीसरा एंटीना क्यों लगाए ?

और सवाल बिल्कुल सही भी है क्योंकि सही मायने में ये ऍम रोका ना कोई इंफॉर्मेशन सेंड करता है और ना ही कोई इन्फर्मेशन रिसीव करता है बल्कि इसका एक बिल्कुल डिफरेंट बट मोस्ट इंपॉर्टेंट वर्क है और वो है मून सर्फ इसपर घूमते हुए ऍम मिंट कर रहे प्रज्ञान रोवर से कम्यूनिकेट करने का ऍर ओवर द्वारा कलॅर को रिसीव करके विक्रम लैंडर पर लगे हुए दूसरे टी टी ।

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सी ऍम की मदद से उसे इसरो तक भेजने का ।

और देखो यहाँ पर इस बात से कंफ्यूज हो जाना कि इन तीनों में से दो एंटीना रोवर के इन्फॉर्मेशन को अब तक सेंड करने के लिए क्योंकि सही मायनों में इन दोनों एंटीना का रोल भी बाकी दुसरे फॅसे बिल्कुल डिफरेंट है ।

यहाँ तक की एक तरह से कहूँ तो ये एक ब्लॅक की तरह है जिसमें अगर कभी चंद्रयान त्री से किसी कारण वश इसरो का कम्यूनिकेश इन जाता है तो ऐसी इमर्जेंसी सिचूएशन में इन तीनों में से कोई दो टी ।

टी ।

सी ॅ चंद्रयान टू के ऑर्बिटर से कम्यूनिकेट करेंगे जो चंद्रयान तरीके , विक्रम लेंडर का कम्यूनिकेश इन फिर ॅ करेगा और इस तरह फिर से इनका कम्युनिकेशन हो जाएगा ।

फिर भी देखो ये ऍम नहीं है ।

वैसे तो ऑलरेडी मून पाॅड कर चुके हैं बट अगर फ्यूचर के आने वाले दिनों में किसी भी कारण से विक्रम का कम्यूनिकेश इन इसरो से लॉस हो जाता है तब इस बाॅन को यूज किया जाएगा ।

और यहीं से एक और सवाल पैदा होता है कि जिस तरह फॅार पर उसका खुद का टी ।

टी ।

सी ।

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ॅ ट्वर्क लगाया है जो कि उसे डाॅट करने की कैपबिलिटी देता है तो इसरो ने इस तरह का कम्यूनिकेश इन प्रज्ञान रोवर में क्यों नहीं किया था ?

आखिर क्यों प्रज्ञान रोवर का ऍसे कम्यूनिकेट नहीं कर सकता ?

तो जैसा की आप पिक्चर में ही देख सकते हैं कि चंद्रयान थ्री में भेजा गया प्रज्ञान रोवर साइड में काफी ज्यादा छोटा है ।

इसका कारण है कम बजट जिसके कारण इसरो ने रोवर को काफी छोटा बनाया है ।

इसके अलावा इसको पवर देने वाली बैटरी भी काफी छोटी है जिसका मेजर पोर्श ।

इन इस रोवर के मोटर ॅ को चंद्रमा के साउथ पोल पर चलने और साइंटिफिक ऍप्स के लिए ड्रिल और लेजर जैसे इंस्ट्रमेंट का प्रयोग करने के लिए खर्च हो जाएगा ।

ऍम कम्युनिकेशन के दौरान काफी ज्यादा पवर कोकन सूम करते हैं ।

अब देखो लाॅन डर तो अपने बडे साइड और बडे सोलर फॅमिली के कारण इन्हें हैंडल कर सकते हैं ।

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पर प्रज्ञान के पास इतनी प अगर है ही नहीं कि वो इस तरह के बडे टीटीसी नॅान के पवर कंसेप्शन को संभाल सके ।

इसीलिए इस पर एक काफी छोटा एंटीना लगाया गया है जिसकी रेंज काफी कम है ।

लेकिन इस एंटीना के जरिए रोवर काफी आसानी से आपने ऍन डर से कम्यूनिकेट कर सकता है और लेंडर आपने कई सारे टॅाक के जरिए इस इन्फर्मेशन को इसरो के आॅवर तक पहुंचा सकता है ।

अब दोस्तों अगर हम चंद्रयान त्रि की बात करें तो इसमें ॅ क्विंसी वाले टी ।

टी ।

सी ऍम प्रयोग किया है ।

अगर नाइनटीन के सिग्नल कवरेज की बात की जाए तो ये टी ।

टी ।

सी ।

ऍसे जिस साइड लगे होते हैं वहाँ पर एक सौ अस्सी डिग्री फॅस पीर की कवरेज देते हैं ।

इसीलिए इस रोने विक्रम के हर एक साइड में एक टी ।

टी ।

सी ।

एंटीना लगाया है ताकि विक्रम चाहे किसी भी पहुँच क्यों ना हो , हर तरह से इसरो से उसका कम्यूनिकेशन बना रहे ।

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वैसे अगर मैं आपसे ये कहूँ कि आप अभी चंद्रमा के साउथ पोल पाॅड हो चुके चंद्रयान तरीके विक्रम लैंडर से कम्यूनिकेट कर सकते हैं तो क्या आप इस बात को मानोगे ?

ॅ यकीन करना मुश्किल है ।

बट ये हाँ सबल है तो इसमें कई फॅमिली में इंटरेस्ट रखने वाले लोग अपना खुद का स्पेस कम्युनिकेशन नेटवर्क बनाकर बैठे हैं और सोलर सिस्टम में घूम रहे हैं ।

डिफरेंट डिफरेंट स्पेसक्रॉफ्ट से कम्यूनिकेट करते हैं ।

वैसे ये कम्युनिकेशन किसी स्पेस एजेंसी की तरह इतना ॅ नहीं होता की वो स्पेस कॅश दे सके या उसके किसी डेट में चेंज कर सके ।

बल्कि इसके बजाय इन कम्युनिकेशन नेटवर्क के जरिए ये लोग केवल स्पेसक्रॉफ्ट से आने वाले डोपलर फ्रीक्वेंसी चेंजिंग को कर पाते हैं और डोपलर फ्रीक्वेंसी में होने वाले चेंज की मदद से ये स्पॅाट का अपडेट लगातार ले सकते हैं ।

इन शॉर्ट अगर आपके पास भी ऍम फ्रीक्वेंसी टू जीरो , एट फोर पॉइंट फाइव सिक्स फॅार करने वाला कोई इंस्ट्रमेंट है तो आप भी मून के साउथ पोल पाॅइंट परफॉर्म कर रहे हैं ।

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चंद्रयान तरीके विक्रम मॅन डर का रील टाइम डोपलर फ्रीक्वेंसी चेंज ऍफ को रिसीव कर सकते हैं ।

वैसे ये काफी इंट्रेस्टिंग बात है ।

तो क्यों ना इसी बात पर इस वीडियो को लाइक कर दिया जाए और साथ ही साथ दोस्तों विडियो में जाने से पहले इस विडियो में फॅालो इस्काॅन कर दो जितना हो सके वी लव इसलिए फैला दो देखते हैं कि कितने लोग है इसरो के प्रति सच में प्यार करते हैं ।

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