जेपुर में है कहचुणों कर स्ता जाło आपके लग परस्ते जा रहे थे। यहां एक गली में था गोविन नराइन जहालानी का घर। यह सब लोग इस घर के बरामदे में पहुचे और चिल्लाने लगे , चौधरी टीकार तीकराम कहां हैं। इस घर का नौकर आया और बोला , साहब नहां करा रहे हैं। आप लो गैस्ट्रूम में बैठ जाएए। पाज साख मिनट बाद ही सफे दोटी और वन्यान पहने हुए एक आदमी उस कम्रे में आया और बोला , बताइए मैं आपकी क्या सेवा कर सकता तीकाराम भी घुस्सा गए। बुले आप लोग पुजे डराने धम्काने आए हैं क्या ?
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यम्ना भृज के पास , पॉलिस ने योजना को अमल में लाने के लिए अचे जद्धे को रोक लिया। पूलिस के पास एक लिस्ट थी जिसमें से पड़कर कुछ नाम बोले गये। ये नेता थे , गिरफतार कर इन्हें ट्रॉक में बिठा लिया गया। पूलिस को लगा कि अब जब लीडर्शिप ही नहीं तो ये भीर खुद ही तितर बितर पूलिस की एक नाम नहीं था एक नौजवान का तीकाराम का और इसी लिए पूलिस के जाने के वाद तीकाराम और उनके यूटली के बचे साथियों ने मूर्चा समाल लिया भीर जूलूस में तबदील हुई जूलूस निकला और फिर कम्पनी बाग में सबा वाग में सबा हुई। अभ टीका राम भी अंग्रेजों की लिस्ट में आ चुके थे। और इसी लिए आगे चलकर घ्रफतार रूए पत्रकारता के फेर में। दरसल उन दिनो अंग्रेजों ने डिल्ली में अकभारों पर बैन लगा दिया था। ऐसे में कौंग्रेस � meetings नाम से एक bulletin निकालना शुरू किया ताकि लोगों को उनके बारे में पता चले .
hindi , urdu और english में एक bulletin निकलता था और tika ram के जिम में hindi bulletin था .
जल्द ही पूलिस ने bulletin के चलते उन्हें ग्रफतार कर लिया .
एक सथा टैमपो चाप शेर सुनीये , धका दिया था उनहोंने डबोने के वास्ते पर अंजाम ये हुआ कि हम तैराक बन गए .
ये टीकराम पालिवाल और अंग्रेसों के लिए पर्फेक्त है .
अगस्ट उन्नीज सु तीस में पालीवाल और उनके साकियों पर ट्राइल शुरूज हुआँ। जज का नाम था एफभी पूल्ग अंग्रेज था ज़िरे शुरू हुई तो पालीवाल और उनके साकियों के तरफ से कोई वकील नहीं था .
ऐसे में अंग्रेज वकील ने � और जज ने सज़ सणाला शुरू कर दिया। तीकाराम बीच में बोल पढ़े और जज से जिरहे करने लगे। इस 10 मिनेट की जिरहे के भाद अदालत में तालियां बजने लगी। तीकाराम के तरकों के भाद जज बस चार महिने ही जेल की सजा सणा सका पर पर परपा� जेल में इस घटना के खूप चर्चे हुए उन चार महिनों में .
वहां बंद बरिष्ट कान्तकारियों न टीकराम से कहा , मास्टरी छोडो , वकालत पढो .
सजा काटने के बाद टीकराम ने ऐसा ही किया .
मेरट के लोग कौलेज में अडमिशन लिया , फिर दिग्री पराजिस्थान के हिंडौन आकर वकालच शुरू कर देगे। वकील तीकराम एक बार फेर आजादी के आंदोलन में सक्क्री हो गये .
उन्होंने अपना बेश हिंडौन से जैपूर कर लिया .
यहां वह प्रजामंडल में सक्री हुए प्रजामंडल यानी र्यास्तों में कौंग्रेस का स्वरूप आजादी के आंडोलन के लिए और यहीपर पालिवाल की नस्दी की प्राजिस्थान के पहले सीम और वनस्थली के निर्माता हीरालाल शास्ट्री से हुई � और फिर जागीरदारी खतम हो गयी .
और इसी से रोश में आय लोग तल्वार लेकर पालिवाल के पास पहुज गये थे। उन्हें अजीब लगा .
जो अपना लगता था जिसे वो चौदरी टीकराम कहते थे , वहीं उनका वर्चस्व खतम करने पर लगा था .
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पूराने सोश्यलिस्ट मास्टर आदित्येंद्र राजिस्थान में जंता पार्टी के अध्यक्ष बने उनका साथ दिया जन्संखेमे के भहरो सिंग शेकावत और टीकाराम पालिवाल ने जंता पार्टी जीती , शेकावत सीम बने , पा पालीवाल फिर नेपथ्य में चले गये। तीन साल में ये प्रयोग धेर हो गया। बीजेपी बनी तो शेकाबत ने टीकाराम को साथ आने का नियोता दिया। लेकिन तब तक उनहोंने स्यासद से सं्यास का मन बना लिया था। जिन्दगी के आखिरी पंदरा वरस ट आखिरी पंदरा बरस टीका राम पालिवाल ने एक ट्रस्ट बना गरी बच्चों को पढ़ाने में गुजारें .
मास्तरी से सब शुरू ता उसी पर खतन हुआ .
मुक्यमंत्री के अगले एपिसोड में देखिये उस लड़के की कहानी जिसने शादि की तो विरोद में पूरा शहर बंद रहा जो लगातार 17 साल मुक्षमंत्री रहा उत्तर भारत की सियासत के लिहास से ये अभी तक कायम रिकाओट है पूक्किमंत्री लडन टॉप की पूलिटिकल किस्सों की एलेकशच्ट अस्पे प्रभाज़ोप्लिटिकल किस्तों की लैक्षन स्पेशल सीरीज इसके बारे में अपने ख्याल हमें कमेंट बॉक्स में लिखकर बताई ये यूट्यूब पर देख रहे हैं तो दी लडन्टॉप् की चणड़ अप सब्सक्राइब करें फेसबॉक पर देख रहे हैं तो ह शुप्रियाँ।