कहते है कि दुनिया में मन सबसे ज्याहिडा शक्तीषाली चिज होति है अगर किसी चिज को तुम पूरे मन से चा ह लो तो तुम उसे हआसिल कर सकते हो ये मैं हैं नहीं कैता .
že सबी महा पूर्षूव का कहना है लेकिन अगर य hasap hai। yasasa hai .
so spine crate hai ..
तो जव हम अपने मन स लेकिन फिर भी वो काम्याब नहीं होता बला ऐसा दुनिया में कौन इंसान होगा जो अपने मन में ये चाहेगा कि मैं ना काम्याब रहूँ या मैं पैसा नाकमाँ सोचने की बात हैं तो इसमें दो चीजे निकल के सामने आती हैं या तो वो महा पूरूश गलत यह भाथ बोली कि मंच से चाही होई चीज हासिल हो जाती है .
यह फिर हम घलत हैं .
आज की कहानी जो मैं आपको सुनाने वाला हूं उसमें आपको एक एसा मंत्र मिलेगा .
उसे समझने के बाद आपको एक एसा मंत्र पता चलेगा जिससे आप ये समझ पाइइंगे कि � लोफ अट्रैक्षण कैसे काम करता हैं ?
कहानी चोटी ची है लेकिन बहुत ही गहरी हैं .
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तो चली ये कहानी सूरू करते हैं .
एक बार की बात है , एक आदमी के जीवन मे एक आदमी के जीवन में सिर्प दुक्षी दुक्षी थे। वो जोबी काम करता उस बेचारे का वो काम पूरा ही नहीं होता। घर में आता तो घर में कलेश बना रहता। किसी से कोई मदद मांगता तो कोई उसकी मदद नहीं करता। ऐसा लगता था कि चारों ऊर से � अपने दुखों के लिए चाहूरवान पहाड नहीं। उसे समझ नहीं आरा था कि मैं एन दुखों से पहार कैसे पाउन् वो दिन रात यहीं सोझता रहेथा कि अपने दुखों से छूटकार यहां पाना हैं। इसी कारण से वुरातमिं सो भी नहीं पाता था .
उसकी पाथा था। उसकी आखों के निचे बड़े-बड़े काले-घेरई बन गए थे। जो इस बात कप्रतीत थे कि वाद्मिक कितना दुक्षी है और कितना चिंटिथ है। कवी-कवी तो उसकी मंण में आतम्हात्या करने के भी खहा nano te-kabhi-kabhi tu uski man mein aatmahaitya karne ke bhi khayal आतम� वो ये कदम नहीं उठा पाता था। वो इतना दुक्षी हो गया कि उसने निर्नय किया कि वो इन दुक्षों से छुटकारा पाके रहेगा। इसके लिए चाहे उसे कितनी भी मेंदद करनी पड़े , कुछ भी करना पड़े चाहे अंगारों पे चलना पड़े लेक अपने जीवन को कैसे सुदारूं ?
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ब प्रभना चाहिये। बाबाओं के पास जाउं या ना जाउं। फिर एक दिन एक आदमीने उसे बताया कि तुम अपने गर में किसी पंडित को बुलाकर हवन कर लो। हवन होगा गर शुद लोगागा। कोई भी बुरी उर्जा होगी गर में तो वो गर से बाहर चली जाएगी , किसी पंडित को बुलाकर , पूरे विद्धि विदानों से मंत्रो चारण कराओ और हवन कराओ , जिससे गर में सुक्षान्ति आए .
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बाबा के पास क्या लेने आय हो ?
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बाबा ने कहा कि बाबा , आप मुझे बताइए तो सही मुझे करना क्या होगा ?
मैं कुछ भी करने को तयार हूं। इ यह सुनकर वादमी बोला , बाबा बस इतनी सी बात , यह तो मैं चुटकी बजाके कर लूंगा , लेकिन इस से होगा क्या ?
बाबा बोले , किस मंत्र को करके देखो ?
वैसे भी तुमने इतने बाबाओं के मंत्र किये हैं , तो इस मंत्र को भी करके देख लो ?
उस आदमी ने सोचा , कि बाबा कुछ दान दक्षना तो ले नहीं रहे , और चोटा सा मंतर है इसे तो मैं कर ही लूंगा। वो बोला तीक है बाबा , मैं ये मंतर जरूर करूँगा। वो आदमी ये कहकर वहां से उठकर चलने लगा। लेकिन जैसे ही वो चलने लगा , पीछे से बाबा ने बोला , कि बच्चा , एक बात याद रखना , ज� एक बात याद रखना , जब तुम ये मन्त्र अपने मन्मे डोराो , तो , तुम्हारे मन्मे बंदर के विचार नहीं आने चाईये .
बंदर का खयाल भी नहीं आणा चाईये .
तो ही ये मन्त्र शिदथ होगा .
वो आद्मी बोला , मुझे तो आज तक बंदर का कोई वि� तो आज तक बन्धर का कॉ隨जार नहीं आया !
तो अब क्यों आयेग। आप चिंता मद करिये बाबा !
मैं बस मन में यही दोराउंगा , कि मैषुक्षी हू , मैं सुक्षी हू ...
इसके लावा बन्दर का कोई विचार मेरी मन में नहीं आयेगा। ये कहकर वो आदमी वो अपने मन में मैं सुक्षी हूं , मैं सुक्षी हूं , ये दोराता हुआ थोडि दूर ही चला था , कि उसके मन में अचानक बंदर का खयाल आ गया। बंदर का खयाल एक बार आया और चला भी गया। लेकिन उस आदमीने सोचा , कि आज तक तो मुझे बंदर का कौई विचार नहीं आया , यह आज बंदर का विचार क्यों आगया ?
और ऐसे करके उसने उस बंदर के विचार को पखड लिया .
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ये सुनकर बाबा ने कहा , कि बच्चा , अपने दुकों से लडना बनकर दो। जब तक तुम अपने द� उन दुकों से चुटकारा ही नहीं पाना चाओगे , उस इन दिन से तुमारी जिन्दिगी से दुक्ष घायब हो जाएंगे .
क्योंकि किसी भी चीज़ से चुटकारा पाने के लिए , हमें उस चीज़ के बारे में शोचना परता है .
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यानि की विशिष्ता और ज्यादा बढ़ा देते हैं। yani ki vishishta aur jyada bada dete hain .
हमारा मन उस चीज के बारेमे जितना ज्यादा सोचेगा। hamara man uscheez ke baareme jitna jyada sochega .
शराब या दुंग्रपां छोड़ने के बारेमे जितना ज्यादा जीज के पीचे ज्यादा भागेका हमें उस चीज से लडना नहीं हैं बल्कि बिना सोचे गुजर जाना हैं और अगर इस मंत्र को हम समझ लेते हैं तो हम अपने जीवन में जो भी पाना चाते हैं उसे अपने अंतरमन में डाल चाते हैं और एक बार वो लक्षे हमारे अंतरमन में बैठ जाता है तो फिर सफलता पाने में कोई समस्चा नहीं आती कोई दिक्कत नहीं आती तो दोस्तों कैसी लगी आपको ये कहानी कमेंट शैक्षन वे ज़रूर बताएं और अच्छ और अच्छी लगी तो इस चैनल को सब्सक्राइब करना ना बूलें। तो मिलते हैं अगली काहानी में , तब तक के लिए अपना खयाल रकें।