कहते है कि दुनिया भी मुन् सबसे ज़ियादा शक्तिषाली चीज होती है अगर किसी चीज को तुं पूरे मुन् से चालो तो तुम उसे हासिल कर ख़ती है यह मैं नहीं कहता यह सभी महा पुर्यारerm का कहना है लेकिन अगर यह सकतै है , यह सच हैं तो। जो हम अपने मन से चाहते हैं , उत impression रहना हो था ?
होई भाय। कोई भी इंसान अपने मन में दुख तो नहीं चाहें गा。 लेकिन , वो रहता तो दुकी है。 हर इंसान अपने मन से तो कामियाब होना चाहता है। ही पेसा कमाना चाहता है। है लेकिन लेकिन फिर भी वो काम्याब नहीं होता बला ऐसा दुनिया में कौन इंसान होगा जो अपने मन में ये चाहेगा कि मैं ना काम्याब रहूँ या मैं पैसा नाकमाँ सोचने की बात हैं तो इसमें दो चीजे निकल के सामने आती हैं या तो वो महा पूरूश गलत को ने ये बात बोलि , कि मंण से चाहि होई चीज हासील हो जाती है या फिर हम गलत हैं आज की कहानी जो मैं आपको सुनाने वाला हूँ उसमें आप कोिक एसा मंत्र मिलेगा उसे समजने के बाद आपको एसा मंत्र पता चलेगा जिससे आप ये समज पाइँगे कि अपन लोफ अट्रैक्षण कैसे काम करता हैं ?
कहानी चोटी ची है लेकिन बहुत ही गहरी हैं .
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तो चली ये कहानी सूरू करते हैं .
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ब प्रभना चाहिये। बाबाओं के पास जाउं या ना जाउं। फिर एक दिन एक आदमीने उसे बताया कि तुम अपने गर में किसी पंडित को बुलाकर हवन कर लो। हवन होगा गर शुद लोगागा। कोई भी बुरी उर्जा होगी गर में तो वो गर से बाहर चली जाएगी , किसी पंडित को बुलाकर , पूरे विद्धि विदानों से मंत्रो चारण कराओ और हवन कराओ , जिससे गर में सुक्षान्ति आए .
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बाबा के पास क्या लेने आय हो ?
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बाबा ने कहा कि दानदक्षिना तो बहुत छोटी सी चीज है। मुझे वो नहीं चाईये। इस पर वो आदमी सोच विचार करके बोला , तो बाबा मैं अंगारों पे भी चलने के लिए तयार हूं। आप मुझे बस आग्या दीजी। बाबा ने कहा , कि अंगारों पे चलने वाली चोटी चीज मैं तु वाली चोटी चीज मैं तुमसे नहीं कराने वाला। मैं जो तुमसे कराने वाला हूं , वो बहुत कठिन मंत्र है , उसे पूरा कर पाओगे ?
बाबा ने कहा कि बाबा , आप मुझे बताइए तो सही मुझे करना क्या होगा ?
मैं कुछ भी करने को तयार हूं। इ यह सुनकर वादमी बोला , बाबा बस इतनी सी बात , यह तो मैं चुटकी बजाके कर लूंगा , लेकिन इस से होगा क्या ?
बाबा बोले , किस मंत्र को करके देखो ?
वैसे भी तुमने इतने बाबाओं के मंत्र किये हैं , तो इस मंत्र को भी करके देख लो ?
उस आदमी ने सोचा , कि बाबा कुछ दान दक्षना तो ले नहीं रहे , और चोटा सा मंतर है इसे तो मैं कर ही लूंगा। वो बोला तीक है बाबा , मैं ये मंतर जरूर करूँगा। वो आदमी ये कहकर वहां से उठकर चलने लगा। लेकिन जैसे ही वो चलने लगा , पीछे से बाबा ने बोला , कि बच्चा , एक बात याद रखना , ज� एक बात याद रख न , जब कुए ने पण्टर अपने मन में दोराओ , तो तुमारे मन में बनदर की विचार नहीं आने चाहीए। बनदर का खयाल भी नहीं आना चाहीए। तो ही ये मन्ट्र सिद्ध होगा। वो आदमी भोला , मुझे तो आज तक बंदर का कोई विचार नहीं आया , तो अब क्यों आयेगा ?
आप चिन्ता मत करीए भाबा , मैं बस मन में यही दोराउंगा कि मैं सुक्षी हूं , मैं सुक्षी हूं , ये दोराता हुआ थोडि दूर ही चला था , कि उसके मन में अचानक बंदर का खयाल आ गया। बंदर का खयाल एक बार आया और चला भी गया। लेकिन उस आदमीने सोचा , कि आज तक तो मुझे बंदर का कौई विचार नहीं आया , यह आज बंदर का विचार क्यों आगया ?
और ऐसे करके उसने उस बंदर के विचार को पखड लिया .
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यह सुनकर बाबा हसने लगे बच्चा , मन का जाल एक ऐसा जाल है जिसे समझ पाना इतना आशान नहीं है बंदर तो तुमहारे रास्ते में पहले भी आते थे जब तुम मेरे पास आय थे , तो इनी पेडों पे ये बंदर गूम रहे थे इसके बाद बाबा ने उसे बताया कि बच्चा , हम जिस चीज से भी दोर भागना चाते हैं , वही चीज हमारे मन में भूथ गहरे में प्रॉइष्ट हो जाती है , वो हमारे अंतरमन में समा जाती हैं .
अनतरमन में प्रॉविष्ट नहीं होगा। इस पर उस आदमी ने पूछा , कि बाबा , लेकिन ये मंत्र हमारे अनतरमन में प्रॉविष्ट कैसे होगा ?
ये सुनकर बाबा ने कहा , कि बच्चा , अपने दुकों से लडना बनकर दो। जब तक तुम अपने द� जब दक तुम अपने दुकों को दूर करने के सोच ते रहोगे , तब दक वो दुक तुमसे चिठके रहेंगे , तब दक वो दुक तुम्हारे अन्तर्मन पर अपना राज जमाए बैठे रहेंगे .
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