शाम के साढ़े छह बज रहे हैं .
एक पतले से रास्ते से धीरे धीरे मृदुल , मधुपुर की ओर बढ़ते चला जा रहा है .
उसके एक हाथ में एक छाता है और दूसरे हाथ में एक torch है .
पीठ में एक बस्ता है जिसमें उसकी ज़रूरत का कुछ सामान है .
इस गांव में आए हुए उसे बस एक हफ्ता हुआ है और उसकी posting इसी गांव में हुई है सरकारी teacher के तौर पे .
हल्की हल्की बारिश हो रही है , और beach beach में छूट भी जाती है , रास्ते पे मिट्टी है , और तूफान से गिरे मेज़ पत्ते भी हैं .
मृदुल चल ही रहा था कि उसे पीछे से एक आवाज़ सुनाई दी .
Master , oh master , जरा रुको भाई .
मिथुन ने सोचा कि उसे कौन आवाज़ दे रहा है ?
पहले तो उसने इस बात को नज़रअंदाज कर दिया और फिर बढ़ता रहा .
तभी पीछे से फिर से आवाज़ आई .
अरे master , जरा सुनो तो .
इस बात पर मृदुल वहीं रुक गया और पीछे मुड़ा .
उसने देखा कि पीछे एक अधेड़ उम्र का आदमी खड़ा है .
उसके एक हाथ में एक लालटेन है जो दूसरे हाथ में एक पुरानी छतरी .
धीरे धीरे वह मृदुल की ओर आया .
Master साहब आप बड़ा तेज चलते हो .
कब से आवाज़ दे रहा हूं और आप होकर चले ही जा रहे हो .
अरे नहीं नहीं , मैंने ध्यान नहीं दिया .
आप , आप यहां क्या कर रहे हैं ?
यह आदमी गांव में ही रहने वाला गांव में बिजली इतनी cut रही है कि गांव में कभी बिजली थी भी कि नहीं यह पता ही नहीं चलता .
पास के गांव गया था सरकारी कार्यालय में , शिकायत करने .
पहले तो ठीक था , जैसे तैसे काम चल जाता था , पर अब इतनी बिजली जाना ठीक नहीं है .
हां , वह तो है .
अंधेरे में चोर लूटोए दाग लगाकर छुपे होते होते हैं न जाने किस किस प्रजाति के सांप होंगे इन जंगलों में .
हां , वो बात तो है और गांव में इन इलाकों में और भी कुछ चीज़ें हैं , जो tour लुटेरों से भी ज़्यादा ख़तरनाक होती हैं .
खैर अब जल्दी जल्दी गांव चलते हैं .
यही कुछ बात करते करते वो लोग आगे गाँव के ऊपर चलें .
अब रास्ता धीरे धीरे अच्छा होने लगा था , गांव लगभग आ गया था , street light में दिख रही थी और कुछ मकान भी पास में थे , चलते चलते मृदुल ने फिर से पुछा , किस बारे में बात कर रहे थे आप ?
क्या चीज़ें हैं , जो चोर लुटेरों से भी ज़्यादा ख़तरनाक होती उल्टा मेरा मज़ाक बनाओगे .
जाने दो इस बात को , फिर कभी बता दूंगा .
अच्छा , ठीक है .
लगता है कोई बड़ा तूफान आने वाला है .
हां , मुझे भी लग रहा है .
अरे master बुरा मान गए क्या ?
बता दूंगा सब .
बस यह ऐसी बातें हैं जो तुम्हारे लिए बिल्कुल नहीं है .
तभी सामने वाले transformer में से कुछ आवाज़ आई .
एक छोटा सा धमाका हुआ और जैसे ही वह धमाका हुआ , transformer उड़ गया और साथ ही साड़ी बिजली चली गई .
सड़क लगभग अंधेरी हो गई .
अब लगभग रात हो चुकी थी .
हो गया कल्याण .
अब तो यह बिजली आने से रही .
अब दस पंद्रह दिन तो अंधेरे में ही रहना पड़ेगा .
ना ना , आज एक बिजली .
बिजली में भाग वाले ठीक करेंगे ना ?
कुछ नहीं ठीक करेंगे इनका रवैया देख के आ रहा हूं मैं आज कुछ भी ठीक नहीं करने वाले , office गया था इनके आज मैं , एकदम कामचोर बैठे हुए हैं सबके सब यहां पे .
यह बोलते बोलते जैसे काका के चेहरे पर एक अनदेखा डर सा आ गया .
ऐसा लगा कि जैसे कुछ सोचकर अंदर से मुखड़ा रहे हों .
क्या हुआ काका , वही सोच में पड़ गए ?
सब ठीक तो है ?
हां हां , सब ठीक है .
कुछ नहीं .
कुछ भी तो नहीं , कुछ नहीं सोच रहा हूं मैं .
ख़ैर , अभी तो जल्दी यहां से चलो , इससे पहले की तेज़ बारिश शुरू हो जाए चलते हैं यहां से .
यही कुछ बात करते करते वो लोग आगे गाँव के ऊपर बढ़ चले .
रात के एक बज रहे हैं .
शाम सात बजे जो बिजली गई उसके बाद वापस नहीं आई .
कूड़ा गांव अंधेरे में डूबा हुआ है .
शाम को कुछ लोगों ने लालटेन जला के रखा था पर अब दो बारी सारे बंद हो चुके हैं .
इधर रात के बजे ही शशि बाज़ार से अपनी दुकान बंद करके गाँव लौट रहा था .
शशि का बाज़ार में एक ढाबा था जहा वो लोगों को खाना खिलाता था .
अपने ठेले पे तो बड़े बड़े बर्तन लेके वो गाँव की ओर धीरे धीरे आगे बढ़ रहा था .
हिला चलाते चलाते वो मस्त गाना गुनगुनाए हुए आगे बढ़ता जा रहा था .
उसके ठेले में आगे एक छोटी सी light लगी हुई थी , जिसकी हल्की रौशनी में वो आगे बढ़े जा रहा था .
अचानक रास्ते में उसे पेड़ के नीचे एक आदमी खराब दिखा शशि ने उसे थोड़ी दूर भी ठेला रोक लिया वो आदमी पेक नीचे अंधेरे में खड़ा था पर अभी तो बारिश भी नहीं हो रही थी फिर वो वहां पर क्यों खड़ा था इस बात पर वो आदमी धीरे धीरे अंधेरे से बाहर रौशनी में आया उस आदमी को देखकर शशि के जैसे होश उड़ गए .
वो आदमी देखने में सही लग रहा था नीचे से और ऊपर उसका चेहरा बहुत भयानक था उसके चेहरे का एक हिस्सा कंकाल था उस तरफ आंख की जगह पर कुछ लाल चमक रहा था .
उस आदमी ने फिर बोलना शुरू किया एक अजीब आवाज़ में .
कहां जा रहा है ऐसे बच के बड़े दिनों से कुछ अच्छा स्वाद नहीं चखा .
आज तेरा मांस खाऊंगा .
आज मज़ा आएगा .
इतना सुनते ही शशि बहुत ज़्यादा घबरा गया .
जैसे तैसे वह ठेला वहीं छोड़कर भाग गया .
वह आदमी अभी भी वही घर होकर हाज़िर जा रहा था .
अगले दिन सुबह हुई अखिलेश काका और उनके साथ गांव का एक और आदमी दूसरे गांव जा रहे थे .
रात बिजली नहीं आई थी और उसी की शिकायत करने , वो लोग फिर से बिजली विभाग जा रहे थे .
सामने हरिया की दुकान पर कुछ लोग एक आदमी को घेर के कुछ बात कर रहे थे .
वो आदमी उन्हें कुछ बहुत गंभीरता से बता रहा था .
क्या हुआ भाई इतनी भीड़ क्यों लगी है ?
ऐसी क्या बात हो रही है मैं भी तो सुनो जरा .
अरे काका देखिए ना , यशस्वी क्या ऐसा उल्टा पुल्टा बोल रहा है .
बोल रहा है कि रात को उसने कुछ देखा है .
अच्छा क्या देखा है ?
कुछ डरावना देख लिया क्या इस बात पर शशि ने रात वाली सारी घटना काका को सुना दी एक बार फिर से काका के चेहरे पर वही डर और वही घबराहट आ गई .
उन्होंने फिर खुद को संभालते हुए कहा , अरे कुछ नहीं ये सब .
लगता है इसने कल रात पी राखी होगी और अब तुम लोगों को ऐसे उल्लू बना रहा है और तुम लोग तुम लोगों को भी कोई और कम नहीं है क्या चलो चलो निकलो यहां से जाओ अपने अपने कम करो मैं जा रहा हूं बिजली विभाग शिकायत करने कि इसके बाद सब लोग अपने अपने काम पर चले गए