सत्रह को ट्वीट का सहारा क्यों लेना पडा ?
क्या मॅन पहले ही फिक्स हो गया था ?
एक निजी टीवी के प्रोग्राम में माहिर कानून कामरान मुर्तजा का कहना था की साडी का सब को खुश करना चाहते थे क्योंकि शुरू में डाल दिया जा रहा था कि सदर के जाली दस्तखत किए गए हैं ।
तो ट्वीट का मकसद सदर से हम कर दी थी कि अगर सदर से ये सब कुछ हो सकता है तो पता नहीं और क्या क्या हो सकता है ।
शुरू में जॅाइन कर दिए गए कुछ और मतलब इस तरह से पहले जो वो जब इमीडिएट जो ट्वीट आया था तो वो हमदर्दी जो है वो हिमानी सदर के साथ अगर सदर के साथ इस तरह से जो नहीं हो सकता है तो फिर पता नहीं क्या हो सकता है ।
महिला कानून कामराज मुँह कहा कि सदर के पेट को और से देखा जाए तो पता चलता है कि सदर सबको खुश करना चाहते थे क्योंकि जिस बिल पर ऐतराज हो तो उस मुँह हाथ लेक कर उसको वापस भेजना होता है ।
लेकिन सत्र ने ऐसा नहीं किया और बिल वैसे ही पडा रहने दिया ।
सदर का था कि शायद आर्टिकल पचहत्तर के तहत बिल गैर मौत सर हो जाएगा और इस तरह दोनों तरफ की साइड खुश हो जाएगी ।
मगर बादमें जब दोनों तरफ का वर्ष इन आ गया और उसपे जो वो माइंड रिप्लाइ कर लिया हमने तो पता चला कि सदस्य अब जो है वो हर एक को खुश करने के चक्कर में थे ।
देखिए जिस पे जो जिस बिल पे आपको ऐतराज होता है तो उसमें आपको बिल पे चार लाइन लिख देते हैं जो जो मुँह लिख के आप उसको रिटर्न कर देते हैं ।
ये आर्टिकल्स ॅ फाइव कहते माहिर कानून कामरान मुर्तजा का मस्जिद कहना था की सत्र की जाने से किए गए ट्वीट को गौर से देखें तो उसमें भी उन्होंने कहा की उन्होंने अपने स्टाॅफ से कहा कि इस बिल को गैर महोत् सर होने दे ।
उन्होंने ट्वीट में भी ऐतराज नहीं लिखा ।