नमस्कार मित्रो !
मैं योगाचार्य तारा दर्द स्वागत है आपका सिद्धि योगा में हम लोग आज है हमारे शुरुआती योग अभ्यास के दूसरे दिन में ।
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इस तरह से पैरों को हिलाएंगे की पैरों में ऊर्जा और रक्त का संचार बढ जाए और पैर आराम की अवस्था में चले जाए ।
आज का अभ्यास बहुत ही विशेष होने वाला है ।
हम लोग ऍम से शुरुआत करेंगे तो आपने आरामपूर्वक पीठ के बल आपने योग मैच में लेट जाना है ।
पैरों को योग बैठ के समानांतर पे खोल देंगे और पंजों को बाहर की तरफ को लेके जाएंगे ।
आपके हाथ आपके शरीर के बगल में योग मेरठ के पास में रहेंगे ।
उँगलियाँ हल्की सी मोटी रहेंगी ।
आँखों को धीरे से बंद कर लें और ध्यान रखें आपने अपने सिर के पीछे वाले हिस्से को आरामपूर्वक जमीन से लगाया हुआ है और आपके गर्दन के पीछे वाले हिस्से के नीचे वाली जो उसकी आकृति है उसका स्वरूप है जो पाँच है वो अपने सामान्य जो उसका प्राकृतिक स्वरूप है उसमें बना हुआ है पूरे शरीर को ढीला ।
आपने छोडना है पूरे शरीर को ढीला छोड दें ।
हमने पिछले अभ्यास में जोडो पे ध्यान लगाकर के जो अभ्यास किया था उसके द्वारा हमने शरीर की सजगता को बढाया था ।
यानी की सारी अभ्यास के द्वारा शरीर की सजगता पर ध्यान दिया था ।
अब हम लोग ध्यान रूप में अपने अंत करण के द्वारा अपने शरीर सजकता को बढाएंगे तो आपने अपना पूरा ध्यान अपने पूरे शरीर की तरफ लेके जाना है ।
अब यहाँ पर अपने अपने पैरों की उंगलियों को हल्के हल्के हिलाना है उन्हें महसूस करें और डेरे से उन्हें ढीला छोड दें ।
आराम की अवस्था में जा रहे थे ।
इसके बाद आप ने अपने टखनों को महसूस करना है यानी की फॅमिली को दोनों पैरों के टखनों पे ध्यान लेके जायेंगे और उसके बाद पंजे को अपने खिलाना टखनों पे ध्यान लगा के रखें ।
पंजों को हिलाएंगे पंजे को जितना हो सकता आरामपूर्वक खींचें और पीछे को लाये ।
एक दो बार हिलाने के बाद फिर धीरे से अपने पंजों को टखनों को ढीला छोड देना है और महसूस करना है कि टकने आराम की अवस्था में जा रहे हैं ।
अब इसके बाद आपने अपना ध्यान निचले पैर कॅर लेके जाना है घुटने के नीचे वाले हिस्से का और महसूस करना है की मांसपेशी आराम की अवस्था में ऐसे ही अपने घुटने पे ध्यान लगाना है ।
जोड को महसूस करके महसूस करना है कि जोड आराम की अवस्था ऐसे ही अपने जान अहा का ऊपरी हिस्सा अंदर का पिछला हिस्सा साथ ही साथ अपने को ले पे ध्यान लेके जा रहा है ।
एक बार हम लोग पूरे पैर को हिलाएंगे पूरे दोनों पैरों को अच्छे से हिलाएं ।
अंदर बाहर अंदर बार और फिर पूरा दोनों पैरों को ढीला छोड दे और महसूस करें कि घुटने से ऊपर का हिसाब कमर तक का सम्पूर्ण रूप से आराम की अवस्था में जा रहा है ।
इसके बाद अपनी पीठ को महसूस करेंगे कि आपके पी आरामपूर्वक योग मैट पे लगी हुई है और आराम की अवस्था पे जा रहे हैं ।
अब शरीर के ऊपरी हिस्से की तरफ आएंगे , महसूस करेंगे पेट को हृदय को और महसूस करें कि पेट और हृदय वाला हिस्सा कंधों तक आपका आराम की अवस्था में जा रहा है ।
यहाँ पर आपने अपनी उंगलियों को महसूस करना है ।
उंगलियों को हल्का हल्का सा हिलाएं और फिर ढीला छोड दें ।
महसूस करें कि उंगलियाँ आराम की अवस्था में जा रही है ।
कलाइयों को हाथ के ऊपरी हिस्से को कोहनी को और गाँव को महसूस करना है और महसूस करना है कि पूरा हाथ आराम की अवस्था में जा रहा है ।
हाँ है बहुत ही मुलायम तरीके से बंद रहेंगे ।
किसी भी तरह का दबाव आंखों पे नहीं देना है ।
चेहरे की मांसपेशियों को एकदम से ढीला छोड दिया और महसूस करें कि पूरा चेहरा जो हुआ यानि कि आप की जीप आपके डाल आपके माता और आपका सिर आराम की अवस्था में जा रहा हूँ ।
एक बार फिर से अपना ध्यान पूरे शरीर में ले जाए और महसूस करे कि किस तरह से शरीर पे आराम से लेटा हुआ है ।
योग ऍसे चिपका हुआ है ।
अब अपना ध्यान अपने श्वास और प्रश्वास पे ले के जाएंगे ।
लम्बा धीमा , गहरा श्वास लेंगे ।
लम्बा धीमा , गहरा श्वास छोडेंगे ।
बहुत अच्छे ।
अब यहाँ से धीरे धीरे अपने पैरों को पास में लेके आये दोनों पैरों को चिपका लें और अपने दोनों हाथों को धीरे धीरे ऊपर की तरफ उठाएंगे ।
उंगलियों को बांधेंगे और हाथ को सिर की तरफ से ऊपर को ले जाने का प्रयास करेंगे ।
अब हाथों पे और पंजो पर पंजो को सामने की तरफ खींचे हाथ और पंजों पे अच्छे से खिंचाव देंगे ।
यही खिचा हुआ आपका पूरे शरीर की तरफ जाएगा ।
पूरे शरीर को अच्छे से खींचे पांव नीचे की तरफ जा रहे हैं और हाथ ऊपर की तरफ को खींचना ।
बहुत अच्छा सा खिंचाव आपको अपने पूरे शरीर को देना है और फिर शरीर को ढीला छोडते हुए अपने घुटनों को मोडना है ।
उसके बाद अपने दाएं तरफ को पलटते हुए धीरे से उठ करके बैठ जाना है ।
उठ करके पलटी मार करके हम लोग यहाँ पर बैठेंगे ।
मेरूदंड को सीधा बनाए रखने का प्रयास करें ।
मेरूदंड हमेशा आपका तना रहे ।
आपके हाथ बाहर की तरफ को खुलेंगे ।
यहाँ से विश्वास को बढते हुए दोनों हाथों को बाहर की तरफ खींचे उठाए और खींचे हथेलिया सामने की तरफ और खींचते हुए हाथों को ऊपर की तरफ लेके जाए ।
हथेलियों को मिलाएंगे और अंगूठे को देखेंगे ।
कंधे आपके नीचे की तरफ आएंगे ।
कान से दूर गर्दन से दूर और हाथ आपके ऊपर की तरफ खींचें रहेंगे ।
यहाँ से स्वास्थ को छोडते हुए धीरे धीरे हाथों को नीचे की तरफ लेके आए यही प्रक्रिया को हम दोबारा से दोहराएंगे ।
विश्वास को भरते हुए दोनों हाथों को ऊपर ले के जायेंगे ।
श्वास को छोडते हुए हाथों को नीचे लेके आएंगे ।
वापस से मुँह को भरते हुए दोनों हाथों को ऊपर विश्वास को हुए हाथों को नीचे बहुत अच्छे हैं ।
यहाँ से हाथों को सामने ले आये अंगुलियों को आपस में बांट लें और हथेली को पलटते हुए सामने की तरफ लेके आएंगे ।
ध्यान रखेंगे दोस्तों आपने अपनी उंगलियों को आगे को नहीं खींचना है ।
आपकी अंगुली आराम की अवस्था में रहेगी ।
हाथ को पूरा खींचते हुए कलाई की तरफ को लेके आएंगे ।
यानी की कलाई की तरफ से अपने हाथ को आगे की तरफ खींचना है परंतु उंगलियों पर किसी भी तरह का दबाव नहीं रहेगा ।
कंधों को गोल घुमाते पीछे और नीचे ले आये ।
अब यहाँ से विश्वास को बढते हुए दोनों हाथों को ऊपर उठाएंगे उठाएंगे ।
उठाएंगे जितना उठा सकते हैं लेके जाए ।
प्रयास करें कि आपके कंधे नीचे कान से दूर बने रहे ।
सामने अपने एक तक अपनी दृष्टि एक बिंदु पे टिकानी है और आरामपूर्वक श्वास और प्रश्वास लेते रहना है ।
भीमा धीमा श्वास और प्रश्वास चलता रहेगा ।
स्थिति को बनाए रखेंगे ।
अब धीरे से हाथों को सामने की तरफ से नीचे को ले आएंगे ।
ये अभ्यास आपके हाथों और कंधों की जकडन को दूर करेगा ।
शरीर में लचीलेपन बुलाएगा बहुत अच्छे ।
अब यहाँ से हाथों को वापस से बाहर की तरफ खोलते विश्वास को बढते हुए अपने दाहिने हाथ के ऊपर की तरफ उठाएंगे ।
विश्वास को छोडते हुए अपने बाएं ऊँगली से बाएं तरफ मुँह जायेंगे और कोशिश करेंगे कि दाहिने कूल्हे की हड्डी जमीन से लगी रहे और बहुत ही अच्छा सा खिंचाव दाएं तरफ वाले हिस्से पे देंगे ।
यहाँ पर आपको ध्यान देना है दोस्तों की ।
आपने नीचे वाले हिस्से को इस तरह से दबाना नहीं इसे भी खींच के रखना है ।
जब आप अपने दाएं हिस्से को खींच रहे हैं तो बाप को भी ऊपर को उठा कर के रखे हैं ।
भले ही खिंचाव आपको यहाँ महसूस होगा यहाँ नहीं होगा परंतु इसे भी उठा के रखना है ।
बहुत अच्छे स्थिति को बनाए रखेंगे ।
अब यहाँ से स्वास्थ को बढते हुए वापस से बीच में आ जायेंगे और स्वास्थ को छोडते हुए दाएँ हाथ को नीचे फिर से स्वास्थ भरेंगे ।
बाएं हाथ को ऊपर ले जायेंगे ।
विश्वास को छोडते हुए दाएँ नहीं ऊँगली से दाई तरफ को जाएंगे ।
अपने बाल खुले को नीचे बनाए रखें ।
बाएं हाथ से अच्छे से खिंचाव और दाहिनी तरफ वाले हिस्से को भी अपने खींच के रखना है ।
उसके बाद आपने यहाँ पर स्थिति को बनाए रखना है ।
श्वास और प्रश्वास चलते रहेंगे ।
धीमा धीमा स्वास्थ लेना है , धीमा धीमा स्वास्थ छोडना है ।
ध्यान रखें आपकी नाभि वाला क्षेत्र भी अंदर रहता है और आपकी पसली का जो निचला हिस्सा होता है वो भी अंदर को बना रहता है ताकि पीठ आपके एकदम से सीधी होकर के खींचेगा ।
अब यहाँ से स्वास्थ को बढते हुए धीरे धीरे बाएं हाथ को पर लाएंगे और हाथों को नीचे ले आएंगे तो यहाँ से हाथों को पीछे लेके जायेंगे ।
उंगलियों को बांधेंगे अब अपने हाथ को पीछे की तरफ अच्छे से खींचे ।
उँगलियों को अच्छे से गूंद के रखें ।
यदि आप उंगलियों को नहीं बता पाते हैं पीछे की तरफ तो हाथों के बीच में कोई रस्सी या वस्तु अपने हाथों के बीच में रख सकते हैं ।
रस्सी के दोनों छोर पकड ले या उस वस्तु के दोनों छोर पकड लें जिससे आप यही खिंचाव आप अपने हाथों पर लेके आ सके ।
आप यहाँ से हाथ पीछे खींचने के बाद हृदय कोपर उठाएंगे ।
कंधों को पीछे लेके जायेंगे स्वास्थ को भरेंगे ऊपर को देखेंगे और स्वास्थ को छोडते हुए धीरे धीरे अपने मेरूदंड को आगे की तरफ झुकाएंगे ।
हाथों को पीछे की तरफ खींचेंगे और धीरे धीरे हाथों को ऊपर की तरफ को लाते रहेंगे जितना आपका शरीर जा सकता है ।
स्थिति में इसे इस स्थिति की गहराई में लेके जायेंगे ।
स्थिति को बनाए रखेंगे ।
श्वास और प्रश्वास आपका धीरे धीरे चलता रहेगा ।
बहुत अच्छे धीरे से पैरों पे दबाव बनाया और धीरे धीरे ऊपर को उठ जायेंगे ।
फिर यहाँ से हाथों को खोलेंगे ।
विश्वास को भरते हुए वापस से दोनों हाथों को ऊपर को उठायेंगे ।
तेलियां खुली रहेंगी ।
अब यहाँ से श्वास को छोडते हुए आगे झुकेंगे और हाथों को जमीन पर रख लेंगे ।
अब यहाँ पर ध्यान देना है ।
दोस्तों आपके हाथ कंधे के समानांतर से ज्यादा खुलेंगे ।
विश्वास भरेंगे मेरूदंड को सामने की तरफ सीधा करें ।
स्वास्थ्य हुए धीरे धीरे हाथों को जितना आगे की तरफ लेके जा सकते लेके जाए ।
हाथों में अच्छा सा खिंचाव दें ।
कंधों को पीछे की तरफ लाये मेरूदंड को आगे खींचते हुए है देखो सामने की तरफ लाते हुए इस स्थिति में इस आसन में इसकी गहराई में जाए ।
जितना भी आपका शरीर जा सकता है उतना इसे लेके जाए ।
बहुत अच्छे अपने शरीर और स्वास्थ्य के प्रति सजगता को बनाए रखें ।
आरामपूर्वक श्वास और प्रश्वास चलता रहेगा ।
अब स्थिति में कुछ दिन रुकने के बाद धीरे से सिर के ऊपर उठाएंगे ।
हाथों को धीरे धीरे अन्दर की तरफ लाएंगे ताकि मेरूदंड ऊपर आने लगे ।
इसके बाद श्वास को बढते हुए दोनों हाथों को ऊपर ले के जायेंगे और छोडते हुए नीचे ले आएंगे ।
अब यहाँ पे हम लोग बाएं हाथ को दाहिनी जन्म के ऊपर पे रखते हैं और दाएं हाथ को पीछे की तरफ लेके जाते हैं ।
यहाँ पर हमने दाएँ हाथ से दबाव बनाना है और मेरूदंड को ऊपर को उठाना है और साथ ही विश्वास को अंदर भरना है ।
अब यहाँ पर बाएं हाथ से दाएं जगह पे दबाव बनाएंगे ।
विश्वास को छोडते हुए मेरे डंडे को पीछे की तरफ घुमाएंगे , कंधों को घुमाएंगे और सिर को भी पीछे की तरफ ले के जायेंगे ।
अब यहाँ से धीरे से सिर को आगे की तरफ लेके आए हम लोग सिटी को बदलेंगे आपदायें हाथ को बाएं जगहा के ऊपर रखेंगे और बाएं हाथ को पीछे की तरफ लेके जाएंगे ।
फिर से बाएं हाथ से अंगुली पर दबाव बनाए और हृदय को ऊपर की तरफ को उठायेंगे ।
मेरूदंड को जितना हो सकता है ऊपर की तरफ ले जा करके सीधा करेंगे ।
अब यहाँ पर दायें हाथ से बाएं जगह पे दबाव बनाते हुए विश्वास को छोडे और शरीर को पीछे की तरफ पलटेंगे , कंधों को भी पीछे को लेके जायेंगे साथ ही साथ सिर को भी पीछे की तरफ लेके जाएंगे ।
स्थिति को बनाए रखें ।
स्थिति का आनंद ले श्वास और प्रश्वास आपका धीमा धीमा चलता रहेगा ।
अब धीरे से सिर को सामने की तरफ घुमाएंगे ।
विश्वास को भरते हुए दाएँ हाथ को ऊपर उठाएं फिर बाएं हाथ को ऊपर उठाएं फिर देखो ऊपर की तरफ को खींचेंगे और लेके जाए और लेके जाए हाथों को भी और उठाये ।
अब धीरे से हाथों को नीचे ले आये कंधों को ढीला छोड दें ।
अब यहाँ पर हम लोग योग मैट पे आ कर के ले लेंगे ।
हमारा अभ्यास हमारे पेट की मांसपेशियों के लिए पेट वाला जो हमारा हिस्सा होता है ।
हमारे पूरे शरीर का एक तरह का आधार होता है झुकने में या पीछे को जाने में या तिरछा मोडने में ।
जितना भी हमारे शरीर में जो जो हमारे शरीर का जो केंद्र होता है वो हमारे पेट की मांसपेशियां होती है ।
जैसे हम लोग अंग्रेजी में कोर कहते हैं ।
सब जगह मतलब यही होता है कि किसी भी किसी किसी भी चीज का आधार जो होता है वो उसका कोर वाला हिस्सा होता है तो यहाँ पर हमारे हमारे जितने भी मूवमेन्ट होता है , शरीर के आगे झुकना है , चर्चा जाना है ।
पीछे जाना तो ये पेट से ही जुडा हुआ होता है या जैसे कि आप सामान्य में उठकर के बैठते हैं या बैठ कर के उठते हैं , चलते हैं , दौडते हैं ।
हर अवस्था में आपके पेट की मांसपेशी कार्य में आती है ।
तो इस अभ्यास के द्वारा हम लोग अपने पाचन प्रणाली को बेहतर हमारे उत्सर्जन तंत्र यानी कि जिनसे हम लोग भी करते हैं उनके कार्यों को बेहतर बनाएंगे और पेट की मांसपेशी में मजबूती लेके आएंगे तो यहाँ से हमने पीठ के बल लेट जाना है ।
आप अपने शरीर के अनुसार धीरे धीरे पीठ के बल आकर के लेट जाये ।
अपने पैरों को मोड के रखना है , पैरों के तलवे आपके जमीन से लगे रहेंगे ।
आपके हाथ शरीर के बगल पे रहेंगे , कंधों को गोल घुमाते हुए , पीछे और नीचे बना के रखें ।
हृदय वाला जो हिस्सा है वो ऊपर की तरफ को उठा हुआ रहेगा ।
बहुत ज्यादा ऊपर को नहीं उठाना है आपने ।
क्योंकि पीठ आपकी जमीन से अच्छे से चिपके रहेगी बस अपने ऊपर वाले हिस्से को फैलाने है ।
चलिए यहाँ से हम लोग अभ्यास की शुरुआत करते हैं ।
आप यहाँ से अपने दायरे पाँव को सीधा कर लें ।
दाया पाओ एकदम से सीधा हो जायेगा ।
पंजाबी एकदम से सीधा ऊपर की तरफ को उठा रहे हैं यानी कि फॅस था में बना रहेगा दाहिने पैर की जंघा की मांसपेशियों में सक्रियता लेके आएंगे उसके लिए जो जंघा की ऊपरी मांसपेशी होती है ।
कॅश और घुटने की कटोरी यानी कि नॅान ऊपर को खींचेंगे ।
यहाँ से विश्वास को बढते हुए दाहिने पाँव को ऊपर ले के जायेंगे ।
पैर को सीधा रखने का प्रयास करेंगे और स्वास्थ को छोडते हुए धीरे धीरे दाएं पांव को नीचे लाएंगे और जमीन से थोडा सा ऊपर रखेंगे ।
लगभग तीन से पांच इंच की दूरी पर अपने इस को उठा के रखना है फिर से यहाँ पर स्वास्थ लेंगे ।
पैर को जितना हो सकता है ऊपर ले के जायेंगे , घुटने को सीधा रखने का प्रयास कर रहे हैं और स्वास्थ को छोडते हुए पांव नीचे आएगा ।
वापस से विश्वास को बढते हुए पाँव ऊपर और स्वास्थ को छोडते हुए धीरे धीरे पाँव को हम नीचे लाएंगे ।
चलिए दोबारा से विश्वास को बढते हुए पाओ ऊपर विश्वास को छोडते पाओ नीचे विश्वास को भरते हुए पांव ऊपर श्वास को छोडते हुए पांव नीचे आएंगे ।
धीरे से पूरा पांव नीचे तक ले आए और इसके बाद पंजे को दाहिने पंजे को जमीन पे लगा लें और बाएं पांव को सीधा कर लें ।
बाएं पैर को एकदम से सीधा करना है ।
पंजे को भी फॅस रखना जैसे हमने पहले किया था और जगह की मांसपेशी में सक्रियता ले के आनी है ।
घुटने में भी सक्रियता लानी है ।
यहाँ से विश्वास को बढते हुए बाएं पांव ऊपर उठाएंगे जितना लेके जा सकते हैं ।
पैर को सीधा रखने का प्रयास करें और श्वास को छोडते हुए धीरे धीरे धीरे धीरे बाएं पांव को नीचे लाएंगे और हल्का सा जमीन से उठा के रखेंगे ।
दोस्तों दाएं पंजाब का नीचे है इस पे भी दबाव बना के रखें ताकि ये आपको बाएं पांव को उठाने में और नीचे लाने में मदद करें ।
विश्वास को बढते हुए वापस से बाइक को लेके जायेंगे ।
स्वास्थ को छोडते हुए धीरे धीरे धीरे धीरे बात पापा को नीचे लाएंगे ।
बहुत अच्छे से प्रक्रिया को दोहराएंगे ।
स्वास्थ को भरते हुए धीरे धीरे बाएं पांव ऊपर ले के जायेंगे ।
घुटने को सीधा रखने का प्रयास करें ।
स्वास्थ को छोडते हुए धीरे धीरे नीचे लेके आएंगे ।
पैर पे सत्ता बनाके रखे फिर से स्वास्थ को बढते हुए धीरे धीरे उप्पर लेके जाएंगे श्वास को छोडते हुए धीरे धीरे नीचे लेके आएंगे विश्वास को बढते हुए धीरे धीरे ऊपर बॉस को छोडते हुए धीरे धीरे धीरे धीरे नीचे एक बार ॅ धीरे धीरे ऊपर हाँ छोडते हुए धीरे धीरे धीरे धीरे नीचे लेके आएंगे बहुत अच्छे अब यहाँ से पाँव को पूरा नीचे ले जा रहे हैं और दाहिने पापा को भी सीधा कर दें ।
अब हम लोग दोनों पैरों को एक साथ में उठाने का प्रयास करेंगे उसके लिए आपको अपनी हथेली को खुले के नीचे लेके आना है तो यहाँ पर या तो आप सीधे अपने खुले को तिरछा करके लेके जा सकते हैं या फिर घुटने को मोड के जल्दी से अपनी हथेली कोकू ले के नीचे पर रख ले और पैरों को सीधा कर लें ।
फिर यहाँ पर आपने पोलियो को दोनों तरफ से अंदर की और लेके आना है ।
शरीर के पीछे की तरफ पूरा लेके जाना जितना हो सकता है उसको पूरा चिपका कर के अंदर ले आए और आपने हथेली और कोहनी की तरफ से एक अच्छा सा संतुलन बनाएंगे ।
नीचे पर दबाव बनाएंगे , अपने पंजे को सक्रिय बनाए जगहा की मांसपेशी को सक्रिय बनाए घुटने की कटोरी को सक्रिय बनाएंगे ।
अब हथेली से दबाव बनाएंगे ।
विश्वास को बढते हुए धीरे धीरे दोनों पैरों को ऊपर को उठाने का प्रयास करेंगे यदि पांव आपके आसानी से नहीं उठा पाते हैं ।
यहाँ पे तो आपने नीचे से पैरों को पहले मोडना है और फिर घुटनों को ही दे के पास लाते हुए पैरों को ऊपर को लेके जाना है ।
इसी तरह से यहाँ पर से को छोडते हुए धीरे धीरे पैरों को नीचे लेके जाएंगे परंतु जमीन से कम से कम पांच से दस इंच ऊपर रखेंगे ।
यदि आपका पापा यहाँ तक नहीं आ पाता है और इस तरह से आने में आपको ढाई लगता है तो ऊपर से पहले घुटने मोडें पंजो को लगा लें और फिर धीरे धीरे नीचे से ही पैरों को आप सीधा कर सकते हैं ।
जमीन पे लगाए रख सकते हैं तो दो तरह के अवस्था में मैंने आपको बता दिया आप अपने शरीर के अनुसार इस अभ्यास को कर सकते हैं ।
चलिए करते हैं विश्वास को बढते पैरों को पर और छोडते हुए धीरे धीरे पैरों को नीचे लेके आएंगे ।
वापस से विश्वास को बढते हुए धीरे धीरे पैरों पर और छोडते हुए धीरे धीरे धीरे धीरे नीचे लेके आएंगे ।
दो बार और दोहराएंगे स्वास्थ को बढते हुए पैरों के ऊपर विश्वास को छोडते हुए धीरे धीरे पैरों को नीचे लाएंगे ।
बहुत अच्छे श्वास को बढते हुए पैरों को पर विश्वास को छोडते हुए धीरे धीरे धीरे धीरे पैरों को नीचे लाएंगे और पूरा का पूरा नीचे रख देंगे ।
आराम से घुटनों को मोडकर के अपनी हथेली को खुले से बाहर निकालना है ।
हाथ को शरीर के पास में ही बना के रखें और पैरों को सीधा कर लें ।
यहाँ पर हम लोग पास चक्रासन यानी कि लेक रोटेशन का अभ्यास करने जा रहे हैं ।
इसके लिए आपको दाएं को सिर्फ टाइप को ऊपर उठाना है थोडा सा उठाएंगे ।
पंद्रह से बीस के ऊपर उठाएंगे ।
पंजे को आगे की तरफ खींचेंगे ।
अब यहाँ से अपने दाहिने पंजे से अपने गोल आकृती यानी कि गोला आपने बनाना है ।
आप ये मान सकते हैं कि आप जीरो लिख रहे हैं अपने पांव के अंगूठे से सामने की तरफ ये तो जीरो आप बना रहे हैं ये सामने पैर की तरफ वाली जो आपकी दीवाल है उस तरफ को आप यहाँ पर जीरो बना रहे हैं ।
घडी की स्विच दिशा में से घुमाएंगे ।
अब यहाँ से घडी के सोच के विपरीत दिशा में घुमाएंगे तो कुछ बार घडी की सुई हिंसा में घुमा है और उसके बाद कुछ बार घडी की सुई के विपरीत दिशा में घुमा प्रयास कर रहे कि अपने पैरों की मांसपेशी में सजकता बनाए रखेंगे ।
मजबूती बनाए रखें ।
बहुत अच्छे धीरे से दायें पांव को नीचे आएंगे ।
यही प्रक्रिया हमलोग बाएं पांव से करेंगे तो बाएं पांव उठाकर के पंजे को अच्छे से खींच रहे और इसके बाद घडी की सुई की दिशा में बाएं पैर को घुमाएंगे जो आप घुमा रहे हैं तो आपका पांव जो है वो पैरों की तरफ जो दीवाल है उसपे ये गोल घुमा कर के गोल आकृति को का निर्माण कर रहा है ।
नहीं सुनने का ये निर्माण कर रहा है ।
जीरो बना रहा है तो कई जगह पर ये सब प्यास को शून्य निर्माण भी कहते हैं ।
चलिए विपरीत दिशा में घुमाएंगे ।
स्वास्थ्य प्रश्वास आरामपूर्वक चलता रहेगा ।
नीचे वाले पैर पे भी सकता को बनाए रखें ।
मजबूती को बनाए रखें ।
अब धीरे से बाईपास को नीचे लेके आ जाए ।
अब यहाँ से हम लोग पास संचालन का अभ्यास करेंगे ।
जैसे हम लोग साइक्लिन के नाम से भी जानते हैं उसके लिए अपने घुटनों को अपने हृदय की तरफ लेके आना है ।
पंचों को ऊपर आसमान की तरफ उठाना है ।
पंजाब आपके अच्छे रहेंगे यानी कि फॅस था में रहेंगे हाथ आपके शरीर के पास पे रहेंगे हथेलियां नीचे मॅन तरफ जमी रहेगी ।
अब यहाँ से हमने साइकल की तरह पैरों को आगे की तरफ चलाना है ।
और जब आप पैरों को चलाएंगे तो पंजो पर भी ध्यान दें कि पांव जब आगे को जा रहा है तो पंजा खींच रहा है और पांव पीछे को आता है तो पंजाब मुड जाता है ।
तो जिस तरह से हम लोग जब ऍम मारते हैं तो पंजो की अवस्था बदलती रहती है वैसे ही आपने यहाँ पर भी साइकल को चलाते वक्त अपने पंजों की अवस्था बदलनी है ।
आरामपूर्वक कुछ देर अपने ऊपर की तरफ को पंजों को चलाते रहना है ।
देखिए इसमें पाँव को हम थोडा और ऊपर भी ला करके चलाते हैं जिससे पेट की मांसपेशियों में सक्रियता और बढ जाती है परन्तु जो लोग प्रारंभिक अभ्यासी है उनके लिए थोडा पांव नीचे रहता है और इस यही प्रक्रिया को हम पाँव को और नीचे ले आकर भी करते हैं वो थोडा सा कठिन हो जाता है तो यहाँ पर सरल अवस्था के लिए जैसे अभी आप कर रहे हैं पैर कॉल कैसा ऊपर को उठा करके इस तरह से करते जाइए बहुत अच्छे धीरे से दोनों पैरों को नीचे लेके आ जायेंगे ।
लंबा स्वास्थ भरेंगे और लम्बा स्वास्थ हुए दोनों घुटनों को हृदय के पास लाने का प्रयास करें और फिर पैरों को हाथों से पकड लें और अपने चेहरे की तरफ इसे खींचने का प्रयास करें ।
यानी की आपका जो जगह आए हैं वो पेट के पास आकर के पूरी तरह से चिपक जाएगी ।
अच्छे से खिंचाव होता है जितना अच्छे से खिंचाव दे सकते हैं ।
अच्छे से खिंचाव बहुत आनंद आएगा ।
इस आसन को हम अपान आसन कहते हैं ।
एक बहुत अच्छा खिंचाव देने के बाद अपने पैरों को हल्का कैसा ढीला करना है ।
फिर पंजों को पर को उठा लेना और पंजे के बाहर ही वाले हिस्से को बाहर वाले हिस्से को अपने हाथ से पकड लेना और पंजों को फैला लेना ।
ये स्थिति हमारी आनंद बालासन की है जैसे कि एक बच्चा आनंद की अवस्था में पैरो की इस तरह से पकडा रहता है ।
ऐसे ही अपने पकडना है पंजो को खोलना है जितना खोल सकते हैं और आरामपूर्वक श्वास और प्रश्वास को लेते और छोडते रहना है ।
अब आप चाहें तो दाएं से बाएं बाएं से दाएं आप यहाँ पर इस अवस्था में लटक सकते हैं ।
तो यहाँ पर कुछ देर लुढकने के बाद वापस से बीच में आ जाए ।
पंजो को आरामपूर्वक नीचे रख लें ।
कुडनी को आप चाहे यहाँ पर आप मोड के रख लें , हाथों को बगल पर फैला लें ।
उंगलियों को हल्का सा मोर्निंग है , आँखों को बंद करेंगे , लम्बा धीमा , गहरा श्वास लेंगे और लम्बा धीमा ।
ग्यारह विश्वास छोडेंगे ।
अब अपने दाहिने हाथ को नाभि के ऊपर रखें ।
फिर बाएं हाथ को दाएँ हाथ के ऊपर रख लम्बा धीमा गहरा श्वास अपने नाक से पेट तक लाएंगे और लम्बा धीमा गया ।
फिर पेट से नाग के द्वारा बाहर ले जायेंगे ।
वापस से लंबा धीमा ग्यारह विश्वास नाक से होते पेट तक लाएंगे और फिर लम्बा धीमा ।
ग्यारह विश्वास पेट से होते हुए नाक के द्वारा वहाँ ले जायेंगे ।
एक बार और माँ पा रहे हैं ।
पेट को अच्छे से फैलाएं और धीरे से स्वास्थ को छोड दें ।
पेट को नहीं चले जाए ।
अब अपनी उंगलियों को बांधेंगे और हथेली को सिर के नीचे पे रखेंगे ।
कोहनी को फैला के रखें ।
कंधे भी आपके जमीन से लगे रहेंगे ।
पंजे आपस में मिले रहेंगे ।
घुटने मिले रहेंगे ।
कोशिश करेंगे कि इंडिया को जितना हो सकता है अपने नितम्बों के पास में लाये लंबा गहरा विश्वास लेंगे ।
विश्वास को छोडते हुए दोनों पैरों को दाहिनी तरफ झुका लेंगे और सिर उठाकर के बाएं तरफ को मोड लेंगे ।
उसके बाद स्वास्थ को बढते हुए वापस से बीच में आ जायेंगे और स्वास्थ को छोडते हुए घुटनों को बाई तरफ ले जायेंगे और सिर को देंगे लेके जाएंगे ये प्रक्रिया को दोहराएंगे विश्वास को बढते हुए बीच में आएंगे विश्वास को छोडते हुए घुटने दाई तरफ सिर्फ बाई तरफ विश्वास को भरते हुए बीच में आएंगे श्वास को छोडते हुए घुटने बाई तरफ और सिर्फ डायन की तरफ दोबारा से फॅस को भरे शॉट्स को छोडते हुए घुटने दाई तरफ सिर्फ बाई तरफ स्वास्थ भरे हैं ।
विश्वास को छोडते हुए घुटने बायें तरफ सिर दाई तरफ एक बार और इस प्रक्रिया को दोहराएंगे ।
विश्वास को बढते हुए बीच में आएंगे छोडते हुए घुटने दाएं तरफ सिर्फ बाई तरफ बीच में आये विश्वास को छोडते हुए बाएं तरफ और सिर्फ धीरे से स्वास्थ को भरते हुए घुटनों को ऊपर उठा ले और पूरे शरीर को दाहिनी तरफ पलटते ।
घुटनों को मोडे रखें ।
अपने दाहिने हाथ को तकिये की तरह रख करके उसके ऊपर आराम से सिर रख लें ।
बाएं हथेली को जमीन से लगा लें ।
आरामपूर्वक लंबा धीमा , गहरा श्वास लेंगे ।
लंबा धीमा , गहरा श्वास , मन मस्तिक को शान्त करें ।
पूरे शरीर को ढीला छोड देंगे ।
महसूस करेंगे कि आपका पूरा शरीर आपके मुँह मन मस्तिक आराम की तरफ जा रहा है ।
अब धीरे से बाएं हाथ दबाव बनाए दाहिनी कोहनी का भी सहारा ले सकते है और धीरे धीरे ऊपर को उठ करके बैठ जाए ।
हम लोग यहाँ पर अभ्यास की समाप्ति प्रार्थना के द्वारा करेंगे ।
नमस्कार किस्ती में अपने हाथों को ले आये किसी भी सुख आत्मक अवस्था में बैठ जाये ।
आँखों को बंद करेंगे और सिर को धीरे से आगे की तरफ झुकाएंगे ।
पूर्णा माधा पूर्णा मेडम पोना फोर फोर ना पूर्णामा पूर्णम वशिष् अपने मन में अपने गुरुजन क्या आपने ईस्ट , प्रभु , पित्र किसी का भी ध्यान उनकी छवि को अपने हृदय में ले के आये ।
उनकी ऊर्जा को , उनकी सकारात्मक ऊर्जा को , सद्गुणी ऊर्जा को अपने अंदर महसूस करें ।
अपने अंदर आनंद को महसूस करें , प्रेम को महसूस करें ।
इन सभी ऊर्जाओं को अपने अंदर बनाए रखेंगे और चेहरे में सुन्दर सी मंद मुस्कान लेके आएंगे और फिर धीरे से अपनी आँखों को खोलेंगे ।
धीरे धीरे सिर को उठाएंगे ।