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नमस्कार दूस्टों !
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साथ ही साथ उस वीडियो में ने रमायंड की हिस्टी के वारे में भात करी थी .
क्या रमायंड सच्ची कहानी पर अधारित है या सिर्फ ये एक लिटरेरी वर्क है .
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हरेक मत्के एक मुख्य पुजारी थे जिन्ये शंकरचार्या कहा गया .
तो चार मत् चार शंकरचार्या .
इन चार में से किसी ने भी इस इवेंट को अटेनड नहीं किया पूरी शंकराचार्ये निश्शालंदा सरस्वती ने कहा कि ये जो सरेमनी हुई ये हिंदू स्क्रिप्चर्स के अकॉडिंग नहीं थी विदिवत पतिष्था होनी चा तो राम जी मर्यादा पुषतम्त है या निम ?
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और साथी साथ उन्हों नहीं ये भी कहा कि अगर वो किसी कारण से धर्गा जाते भी , तो इसका मतलब ये नहीं कि वो मूसल्मान बन गएं। आईटी सेल और गो भी बढा हिंदू गोशित कर दिया है। कुछ तो उन्हें विश्नु का अवतार भी कहते हैं। लेकिन प्रजान मंत्री मोदी भी तो दर्गा गये हैं। क्या वो मुसल्मान बन गये करके ?
एक दूसरी फर्जी खबर फेलाई गये इन शंक्रचारे को बध्नाम करने क सब अपनी कुछ अपने रूपिया लेकर त्रिप्ट होगै। अगर इसा समता आपके अपने शंक्राचार के लिए चापते हो आप ?
और जब आप से पॉसता शंक्राचार तो आप उसका स्मःस्टिकर नहीं दे पाते हों !
कहां से पता चलाग कि पाच लाग रुपिया ?
किस रह दिया ?
कहां दिया ?
कब दिया ?
पताओना !
इस बात को देख कर शंक्राचारे खुद है अखर एसी फर्जी कहवर बिना कोई सबूत के क्यूं चलाएगा शंक्राचारे को बदनाम करने के लिए ?
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आयोध्या कान चप्टर 18 , श्लोक 41 इतीव तस्या पूरुश्रम वदन्त्याम नचेव राम प्रिविषेश शोकम यानिकी केकई के शब्ध बहुत हार्श थे लेकिन राम ये सुनकर नराज नहीं होई उने कोई दुक्ष नह वैसे अगर आपको पूरी राम कथा इसी तरीके से आसान भाशा में समझनी है तो कुकुप्रोफम को जाकर चेकाओट कर सकते हो .
वहाँ पर साड़े तीन घंटे की राम कथा सरल भाशा में अव्डियो बॉक के फॉम में माजूद हैं .
कुक्पूफम एक बदी अव्डि जिन्दिश्टी , ज्योग्रफी , पॉलिटिक्स हर तरह के टॉपिक्स पर आवदियो बॉक्स आपको सुनने को मिलेंगी .
अगर आपने इसे अभी तक जॉइन नहीं किया है तो निचे दिस्क्रिपशण में एक स्पैशिल 50% आवगा कूपन कोड मिल जाएगा .
ज यह सुनकर राम यतित नहीं हुए। उन्हें कोई फरक नहीं पड़ा। इसके बाद उन्होंने पिता दश्रत को दिलासा दी और कैकई को कहा कि वो जंगल में चले जाएंगे। सोचकर देखे दोस्तो अगर यह चीज आपके साथ होती तो आपको कैसा लगता। आपको अपने भाईईब ने करी , अपने भाईईदारा शिको को मार डाला राजा बनने के लिए। आयोध्या के लोग अलिडि राम के सपोट में थे। अगर राम चाहते तो वो कह सकते कि ये देखो , मेरे साथ अन्याय हो रहा है , मेरा कोई क जणगल में भिजा जा रहा है। वो भी चाते तो राजा बन सकते कैकेई और भरत को जेल में डालकर। लेकिन उन्हों नहीं यहां कीया। यहां यहां बाद बड़ी द्यान देने वाली है कि अयोध्या के लोक सही माइनों में बिल्कुल सपोट में थे राम के। और उस से ज्यादा कुछ नहीं चाहते थे। और इसकी भीचे कारण क्या है ?
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